लेहरा खास गांव में मनरेगा घोटाला, कागजों पर 360 मजदूर और जमीन पर दिखे सिर्फ 10
कौन करेगा इस हेराफेरी की जांच
कहां जा रही है फर्जी मजदूरों की मजदूरी
कमीशनखोरी का असर या हर घोटाले में है हिस्सेदारी
चंदौली जिले के शहाबगंज ब्लॉक में केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम विकास के लिए चलाई जा रही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है। शहाबगंज विकासखंड के लेहरा खास ग्राम पंचायत में चकरोड़ और सड़क के पटरी मरम्मत के कार्य में जमकर सरकारी धन की बंदरबांट हो रही है। लोगों का कहना है कि कमीशनखोरी और पैसे में सबकी हिस्सेदारी फिक्स होने से यह खेल बेधड़क चल रहा है।
360 मजदूरों का भुगतान, जबकि मौके पर सिर्फ 10
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, पोखरा से सुशील पांडेय के खेत तक और बिंदर खरवार के घर से पोखरा होते हुए काली मंदिर तक मनरेगा योजना के अंतर्गत चल रहे कार्यों के लिए 360 मजदूरों का मस्टररोल भरा जा रहा है, जबकि वास्तविकता में मौके पर महज 10 मजदूर ही कार्यरत हैं। इसका सीधा अर्थ है कि शेष मजदूरों के नाम पर फर्जीवाड़ा कर लाखों रुपये का गबन करने की कोशिश की जा रही है।
ग्राम प्रधान और सचिव पर मिलीभगत के आरोप
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और पंचायत सचिव की मिलीभगत से एक ही कार्य को बार-बार दिखाकर योजना की राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। सरकारी कागजों में तो विकास कार्य पूरे होते दिखाए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत में गांव के विकास की स्थिति बेहद खराब है।
72 ग्राम पंचायतों में फैला भ्रष्टाचार का जाल
शहाबगंज ब्लॉक की कुल 72 ग्राम पंचायतों में से अधिकांश में इसी प्रकार की स्थिति व्याप्त है। सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों पर सीमित रह गई हैं और लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंचने के बजाय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं।
शिकायतों पर भी नहीं हो रही कार्रवाई
गांव के निवासी शैलेश द्विवेदी और रामबली पासवान ने बताया कि उन्होंने कई बार तहसील दिवस में शिकायत की और उच्चाधिकारियों से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की, लेकिन अब तक केवल खानापूर्ति ही होती रही है। नतीजतन, गरीबों के अधिकार और योजनाओं का लाभ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है।
सरकार की करोड़ों की योजनाएं यदि इस प्रकार ग्राम पंचायत स्तर पर ही भ्रष्टाचार का शिकार बनती रहीं, तो विकास केवल भाषणों और आंकड़ों तक सीमित रह जाएगा। ज़रूरत है कि उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि मनरेगा जैसी जनहितकारी योजनाएं अपने वास्तविक उद्देश्यों की पूर्ति कर सकें।
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