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पंचायत चुनाव से जुड़ी बड़ी खबर : 'कोटे में कोटा' लागू कराने की मुहिम में जुटे हैं मंत्री ओम प्रकाश राजभर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभर की मांगों को गंभीरता से सुना और भरोसा दिलाया कि वह इस मुद्दे पर आंतरिक सहमति बनाने की कोशिश करेंगे।
 

मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात कर रखी अति पिछड़ों को आरक्षण की मांग

ओबीसी और एससी आरक्षण में अंदरूनी वर्गीकरण की वकालत

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अलग आरक्षण का प्रस्ताव

उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्री और सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में "कोटे में कोटा" की मांग को प्रमुखता से उठाया। राजभर का कहना है कि ओबीसी और अनुसूचित जाति वर्ग के भीतर अति व सर्वाधिक पिछड़ी जातियों के लिए अलग से आरक्षण सीटें निर्धारित की जानी चाहिए, ताकि सभी वर्गों को न्याय मिल सके।

राजभर ने मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुई मुलाकात में स्पष्ट रूप से कहा कि आज भी ओबीसी और अनुसूचित जाति में कुछ गिनी-चुनी जातियों को ही आरक्षण का पूरा लाभ मिल रहा है, जबकि सामाजिक और आर्थिक रूप से सबसे पीछे रह गई जातियां हाशिए पर हैं। उन्होंने कहा कि “कोटे में कोटा आज की सामाजिक न्याय की सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुकी है।”

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभर की मांगों को गंभीरता से सुना और भरोसा दिलाया कि वह इस मुद्दे पर आंतरिक सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। ओम प्रकाश राजभर ने यह भी घोषणा की कि वह जल्द ही इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे।

राजभर ने अपनी बात को मजबूत आधार देने के लिए पूर्ववर्ती राजनाथ सिंह सरकार द्वारा गठित सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट का हवाला भी दिया। समिति ने ओबीसी आरक्षण (27%) को तीन भागों में विभाजित करने की सिफारिश की थी—

* *7% आरक्षण* 16 पिछड़ी जातियों के लिए,
* *9% आरक्षण* 32 अति पिछड़ी जातियों के लिए,
* और *11% आरक्षण* 57 सर्वाधिक पिछड़ी जातियों के लिए।

उन्होंने कहा कि यदि पंचायत चुनावों में यह प्रणाली लागू होती है तो वास्तव में समाज के हर तबके को हिस्सेदारी मिल पाएगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि समाज के सबसे वंचित वर्गों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा, तो सामाजिक न्याय अधूरा रह जाएगा।

ओम प्रकाश राजभर की यह पहल एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में *जातीय आरक्षण* और *सामाजिक संतुलन* को केंद्र में ला रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा पंचायत चुनावों के साथ-साथ प्रदेश की राजनीति का एक बड़ा विमर्श बन सकता है।

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