पंचायत की आरक्षण सूची के खिलाफ 150 से अधिक शिकायतें दर्ज, अभी और बढ़ने की उम्मीद
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चंदौली जिले में ग्राम पंचायत पदों के आरक्षण में बदलाव से कई संभावित दावेदारों और उम्मीदवारों के मंसूबे पर पानी फिरता नजर आ रहा है। ऐसे में ये लोग आरक्षण के खिलाफ आपत्तियां दाखिल कर रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले में दो दिन में 150 से अधिक शिकायतें दर्ज करायी जा चुकीं हैं।
अब ग्राम पंचायत सहित अन्य पदों के दावेदार लोग आरक्षण के तरीके व आंकड़े को चुनौती दे रहे हैं। इसके बाद 24 व 25 मार्च को आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। वहीं 26 मार्च को अंतिम सूची जारी कर दी जाएगी।
दरअसल, पांच चुनावों में अनारक्षित रहे प्रधान व क्षेत्र पंचायत पदों को इस बार अनुसूचित व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया था। इसमें आबादी के आंकड़े को विशेष महत्व नहीं दिया गया था। इसको लेकर न्यायालय ने आरक्षण सूची के अंतिम प्रकाशन पर रोक लगा दी थी।
इस बार 2015 को मूल वर्ष मानते आरक्षण में चक्रानुक्रम बदलाव किया गया है। वहीं आबादी के मानक का भी ध्यान रखा गया है। ऐसे में कई ग्राम पंचायतों में आरक्षण बदल गया। इससे चुनाव की तैयारी में जुटे संभावित प्रत्याशियों व उनके समर्थकों में मायूसी है। जिला स्तरीय समिति 24 व 25 मार्च को आपत्तियों की जांच करेगी। इसके निस्तारण के बाद 26 मार्च को अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा। इसके बाद आरक्षण में किसी तरह का परिवर्तन नहीं होगा।
बिगड़ा जलालपुर गांव का गणित
सकलडीहा ब्लाक के जलालपुर गांव में अनुसूचित वर्ग की आबादी 24.51 फीसदी होने के बावजूद 1995 से अब तक इस वर्ग के लोगों के लिए ग्राम प्रधान पद का आरक्षण नहीं हुआ। इससे लोगों में नाराजगी है। गांव निवासी ओमप्रकाश ने जिला पंचायत राज अधिकारी दफ्तर में आपत्ति दाखिल कर आरक्षण को चुनौती दी है।
उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान का पद पिछली सूची में प्रधान पद का आरक्षण अनुसूचित जाति के लिए किया गया था, लेकिन न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद संशोधित सूची में पद अनारक्षित कर दिया गया। ऐसे में अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए चुनाव लड़ना संभव नहीं होगा।
वहीं उनके इलाके का क्षेत्र पंचायत सदस्य का आरक्षण अनुसूचित जाति के लिए किया गया है। यह उचित नहीं है। उन्होंने इस बार अनुसूचित जाति के लोगों को गांव के प्रतिनिधित्व का मौका देने की मांग की है।
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