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इन दो गांवों पैसा लेकर नाम काटने का मिला प्रमाण, चेक करिए कहीं आपके गांव में तो नहीं हो गया है खेल

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show चंदौली जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया के दौरान पैसा लेकर नाम काटने के सवालों पर प्रमाण मिलने लगे हैं। कई गांवों में आवेदन से अधिक नाम काटने का सिलसिला पता चला है। अब तक मिली जानकारी नें केवल जसुरी गांव में नाम विलोपन के लिए कुल 51 आवेदन
 
इन दो गांवों पैसा लेकर नाम काटने का मिला प्रमाण, चेक करिए कहीं आपके गांव में तो नहीं हो गया है खेल

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चंदौली जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया के दौरान पैसा लेकर नाम काटने के सवालों पर प्रमाण मिलने लगे हैं। कई गांवों में आवेदन से अधिक नाम काटने का सिलसिला पता चला है।

अब तक मिली जानकारी नें केवल जसुरी गांव में नाम विलोपन के लिए कुल 51 आवेदन आए थे, लेकिन 162 मतदाता सूची से बाहर हो गए। इसी तरह सवइयां गांव में 17 आवेदन पर 72 लोगों का नाम काट दिये गये हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जैसे जैसे मामले की जांच होगी कई और गांवों की पोल खुलेगी, जहां पैसे का लेन देन करके यह कारनामा किया गया है।

ऐसी चर्चा है कि इसी तरह का खेल करके अन्य कई गांवों में दर्जनों की संख्या में मतदाताओं का नाम सूची से काटे जाने के बाद ग्रामीण आक्रोशित हैं। बीएलओ, तहसीलों के कर्मियों के साथ निर्वाचन दफ्तर के कर्मचारियों पर भी आरोप लगे हैं।

हालांकि चंदौली समाचार में सबसे पहले इस खबर को दिखाए जाने व लोगों की शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने जांच बैठा दी है। ऐसे में अब अनियमितता में शामिल कर्मियों का गला फंसता जा रहा है।

निर्वाचन आयोग के निर्देश पर अक्टूबर से ही जिले में मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू है। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन भी किया जा चुका है। जिले में लगभग एक लाख लोगों का नाम सूची से काटा गया, जबकि तीन लाख से अधिक नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए। मतदाता सूची पुनरीक्षण की जिम्मेदारी तहसील प्रशासन को सौंपी गई थी। राजस्वकर्मी, शिक्षामित्र व आंगनबाड़ी को बीएलओ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनकी नियुक्ति में पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े हुए। कई ग्राम पंचायतों में जनप्रतिनिधियों के घर के सदस्यों को ही बीएलओ बना दिया गया। इसको लेकर ग्रामीणों को शुरू से ही शिकायत रही।

उच्चाधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई ठोस पहल नहीं हुई। मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन होने पर पात्रों का नाम सूची से काटे जाने की जानकारी होने के बाद खलबली मची है। सदर तहसील के कई गांवों में इस तरह की शिकायतें मिली हैं।
डीएम के निर्देश पर एसडीएम ने निर्वाचन दफ्तर की जांच की तो अनियमितता साफ उजागर हुई। हालांकि अधिकारियों-कर्मचारियों ने विलोपन आवेदनों को वेंडर के पास भेजने की बात कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की, लेकिन एसडीएम ने कई गांवों की पत्रावलियां अपने कब्जे में ले ली।

जिलाधिकारी व जिला निर्वाचन अधिकारी संजीव सिंह का कहना है कि मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायतों की जांच की जिम्मेदारी सदर एसडीएम को सौंपी गई है। जांच के दौरान अनियमितता मिलने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा।

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