जिले का पहला ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टलMovie prime

ग्राम प्रधान व BDC के चुनाव से अपने को दूर रखेंगी राजनीतिक पार्टियां, ऐसा है प्लान.. !

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्रामप्रधानों व क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव से प्राय: सभी राजनीतिक पार्टियां अपने को दूर रखेंगी। इसके पीछे तर्क यह माना जा रहा है कि ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव में एक ही जाति से कई प्रत्याशी मैदान में होते हैं, ऐसे में किसी
 
ग्राम प्रधान व BDC के चुनाव से अपने को दूर रखेंगी राजनीतिक पार्टियां, ऐसा है प्लान.. !

tds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_showtds_top_like_show

प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्रामप्रधानों व क्षेत्र पंचायत सदस्यों के चुनाव से प्राय: सभी राजनीतिक पार्टियां अपने को दूर रखेंगी। इसके पीछे तर्क यह माना जा रहा है कि ग्राम प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव में एक ही जाति से कई प्रत्याशी मैदान में होते हैं, ऐसे में किसी एक को प्रत्याशी बनाने या समर्थन देने में उसी जाति के तमाम लोग विरोधी हो जाएंगे, जिसका असर 2022 के विधानसभा चुनाव में पड़ सकता है।

इसके पूर्व राज्य में पंचायत का चुनाव कभी दलीय आधार पर नहीं हुआ है, सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में राजनीतिक दल खुलकर समर्थित प्रत्याशी उतारते रहे हैं। इससे जिस दल के सदस्य अधिक चुने जाते रहे हैं, वह दल जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में सफल हो जाता था।

बीडीसी चुनाव में सीधा दखल नहीं देने के बाद भी जब ब्लाक प्रमुख का चुनाव होता है, उस समय राजनीतिक दल दांवपेंच से अपना ब्लाक प्रमुख बनाने की कोशिश करते हैं। इस बार के चुनाव में भी सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी जिला पंचायत सदस्य के चुनाव तक सीमित रखा है। क्षेत्र बड़ा होने से जिला पंचायत के चुनाव में होती है दलों की दखल।

जिला पंचायत सदस्य चुनाव में राजनीतिक दल इसलिए खुलकर आ जाते हैं, क्योंकि पंचायत सदस्य के प्रत्येक सीट के तहत 20 से 22 ग्राम पंचायतें होती हैं। गांवों में इस चुनाव को मिनी विधायक का चुनाव भी कहा जाता है।

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व पंचायत चुनाव प्रभारी विजय बहादुर पाठक के मुताबिक पार्टी ने अभी सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के 3000 से अधिक सीटों पर ही प्रत्याशी उतारने की तैयारी की है। ग्राम प्रधान व बीडीसी सदस्य पर पार्टी चुनाव में जाएगी या नहीं इस पर कोई फैसला अभी नहीं हुआ है।

सपा ने भी जिला पंचायत सदस्य के लिए ही प्रत्याशियों को समर्थन देने की तैयारी तक खुद को सीमित रखा है। वहीं बसपा के अंदर अभी पंचायत चुनाव को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं है। सभी केंद्रीय नेतृत्व के दिशा निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि 15 जनवरी को बसपा सुप्रीमो मायावती के जन्मदिन के दिन इस संबंध में कोई फैसला हो सकता है।

वहीं नौ छोटे दलों को जोड़कर भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का कहना है कि उनका मोर्चा सिर्फ जिला पंचायत सदस्य के लिए प्रत्याशी देगा। ग्राम प्रधान के लिए प्रत्याशी देकर मोर्चा में शामिल दल गांव की राजनीति में पार्टी नहीं बनेंगे।

चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*