पंचायत चुनाव 2021 : SC और OBC आरक्षण प्रस्ताव को यूपी सरकार ने दी मंजूरी, यह होगा तरीका
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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पंचायत चुनाव में आरक्षण प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इसके बाद जल्द ही शासनादेश जारी हो जाएगा। अब यूपी में होने जा रहे पंचायत चुनाव में कोई भी पंचायत जातिगत आरक्षण से वंचित नहीं रहेगी।
प्रदेश के पंचायतीराज विभाग द्वारा इस बारे में तैयार प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई। इस प्रस्ताव के जरिये वर्ष 2015 में हुए पिछले पंचायती चुनाव में तत्कालीन सपा सरकार द्वारा किए गए प्रावधानों को हटा दिया गया है। अब लोगों की निगाहें आरक्षण सूची पर लगी हैं।
वोटर लिस्ट जारी हो चुकी हैं। आरक्षण सूची जारी होने के बाद ही यह तय हो पाएगा कि कौन सा गांव किस वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। वैसे जानकारों के अनुसार यूपी में पंचायत चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। यही कारण है कि अधिकांश दावेदार अभी तेजी से प्रचार करने से बच रहे हैं। उन्हें डर है कि यदि आरक्षण बदल गया तो उनकी मेहनत खराब हो जाएगी. इसके आधार पर चुनाव की तैयारी कर रहे कई दावेदारों को झटका भी लग सकता है।
यूपी कैबिनेट की बाई सर्कुलेशन में 11 अन्य प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इसके बाद जल्द ही शासनादेश जारी हो जाएगा। इसके जारी होते ही यह स्थिति साफ हो जाएगी कि कौन सा गांव अनारक्षित है और कौन सा गांव किस जाति के लिए आरक्षित हुआ है। आरक्षण सूची जारी होने के बाद माना जा रहा है कि चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान कर देगा। इस बार चक्रानुक्रम के तहत यह नया फार्मूला अपनाया जाएगा। प्रदेश में पंचायत चुनाव कराने के लिए योगी सरकार को हाईकोर्ट की फटकार के बाद चुनाव की तैयारी के तहत यह कदम उठाया गया है। इसके लिए 17 मार्च से पहले आरक्षण की सूची आनी थी। इस सूची के आने से पहले सरकार ने आज आरक्षण के प्रस्ताव में संशोधन किया। कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने प्रस्ताव रखा था, इस निर्णय से अब कई जिलों में पंचायत सीटें प्रभावित होंगी।
योगी सरकार ने यह व्यवस्था लागू करते समय ध्यान रखा है कि इस बार के चुनाव के लिए आरक्षण तय करते समय सबसे पहले यह देखा जाए कि वर्ष 1995 से अब तक के पांच चुनावों में कौन सी पंचायतें अनुसूचित जाति (SC) व अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित नहीं हो पाई हैं। इन पंचायतों में इस बार प्राथमिकता के आधार पर आरक्षण को लागू किया जाए।
इस नए फैसले से अब वह पंचायतें जो पहले एससी के लिए आरक्षित होती रहीं और ओबीसी के आरक्षण से वंचित रह गईं। वहां ओबीसी का आरक्षण होगा और इसी तरह जो पंचायतें अब तक ओबीसी के लिए आरक्षित होती रही हैं वह अब एससी के लिए आरक्षित होंगी। इसके बाद जो पंचायतें बचेंगी, वह आबादी के घटते अनुपात में चक्रानुक्रम के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए होंगी।
इन पांच चुनावों में महिलाओं के लिए तय 33 प्रतिशत आरक्षण का कोटा तो पूरा होता रहा, मगर एससी के लिए 21 प्रतिशत और ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण कोटे के हिसाब से कई ग्राम पंचायते व जिला पंचायतें आरक्षित नहीं हो पाईं।
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