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1961 में हुई थी शुरुआत पंचायत स्तर के उद्योगों की शुरुआत, फिर योगी सरकार को आयी है याद

पंचायती राज मंत्री जल्द ही बंद पड़े इन उद्योगों को पुनः क्रियाशील बनाने को लेकर बैठक करेंगे। रिपोर्ट के आधार पर उद्योगों की कार्ययोजना तय की जाएगी।
 

बंद पड़े पंचायत उद्योगों को फिर से संचालित करेगी सरकार

प्रदेश में 95 में से 65 पंचायत उद्योग बंद

मंत्री ने विभाग से मांगी है विस्तृत रिपोर्ट

चंदौली में भी था एक उद्योग केन्द्र

उत्तर प्रदेश में पंचायती राज विभाग के अधीन संचालित पंचायत उद्योगों की हालत जर्जर हो चुकी है। प्रदेश भर में कुल 95 पंचायत उद्योगों में से केवल 30 ही इस समय संचालित हैं, जबकि शेष 65 उद्योग बंद पड़े हुए हैं। इन बंद उद्योगों को दोबारा शुरू कराने की तैयारी तेज कर दी गई है। ऐसा लग रहा है कि योगी सरकार बंद हो गए या बंद होने की कगार पर पहुंचे उद्योगों को फिर से जिंदा करके चलाना चाहती है। अगर ऐसा संभव हुआ तो चंदौली को भी इसका लाभ जरूर मिलेगा। 

पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने विभाग से सभी पंचायत उद्योगों की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। साथ ही यह भी पूछा है कि इन उद्योगों में वर्तमान में कितने कर्मचारी और अधिकारी कार्यरत हैं। मंत्री के निर्देश के बाद विभाग ने सभी बंद और चालू उद्योगों की सूची बनानी शुरू कर दी है।

धूल फांक रही हैं करोड़ों की मशीनें
बंद पड़े पंचायत उद्योगों में करोड़ों की मशीनें अनुपयोगी अवस्था में पड़ी हैं। हैरानी की बात यह है कि विभागीय जरूरतों के लिए काम भी बाहर से कराए जा रहे हैं, जबकि विभाग के पास स्वयं के संसाधन मौजूद हैं। इस स्थिति पर मंत्री ने नाराजगी जताई है और पंचायती राज निदेशक को निर्देशित किया है कि वे सभी पंचायत उद्योगों की संचालन स्थिति, जनशक्ति और उपकरणों का ब्यौरा शीघ्र प्रस्तुत करें।

कर्मचारियों की भारी कमी
जानकारी के अनुसार पंचायत उद्योगों में प्रबंधकों और श्रमिकों की तैनाती पंचायत उद्योग समिति द्वारा की जाती है। विभाग के पास वर्तमान में पंचायत निरीक्षक उद्योग के लिए 19 स्वीकृत पद हैं, लेकिन सिर्फ 11 पर ही तैनाती है। शेष कार्य ग्राम पंचायत अधिकारियों से अतिरिक्त रूप में कराया जा रहा है।

1961 में हुई थी शुरुआत
प्रदेश में पंचायत उद्योग योजना की शुरुआत वर्ष 1961 में लखनऊ के चिनहट पंचायत उद्योग से हुई थी। इन उद्योगों में प्रिंटिंग प्रेस, सैनिटरी नैपकिन, फ्लैक्स और होर्डिंग्स, फर्नीचर निर्माण, टाट पट्टी, सीमेंट उत्पाद, कुदाल, खुरपा, बाल्टी, क्रेशर जैसे तमाम उत्पाद बनाए जाते हैं।

कहां-कहां हैं बंद उद्योग
प्रदेश के विभिन्न जिलों में 65 पंचायत उद्योग वर्षों से बंद पड़े हैं। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं औरंगाबाद (मथुरा), विशौली (बदायूं), इटावा, मकरंदपुर (कन्नौज), अयोध्या (तीन उद्योग), भदर (अमेठी), आधौली (मिर्जापुर), नयागांव (बुलंदशहर), हापुड़, बिजनौर, जगदीशपुर, जलालपुर, बंकी (बाराबंकी), पिहानी, संडीला, सुरसा, उत्तरा (हरदोई), रायबरेली, खैराबाद (सीतापुर), सफीपुर (उन्नाव), मैनपुरी, खलीलपुर (बरेली), शाहजहांपुर, फतेहगढ़ी (फर्रुखाबाद), भग्यनगर (औरैया), हनुमानगंज (बलिया - दो उद्योग), आजमगढ़, मऊ, बस्ती, सिद्धार्थनगर, मेंहदानगर (संत कबीरनगर), जालौन, बागांव (झांसी), ललितपुर, शीतलपुर (एटा), कासगंज, परसपुर, मनकापुर (गोंडा), बलरामपुर, फखरपुर (बहराइच), जमुनहा, सिरसिया (श्रावस्ती), संभल, हसनपुर (अमरोहा), रामपुर, छुटमलपुर (सहारनपुर), सिकरारा, मुफ्तीगंज, मछलीशहर, खेतासराय (जौनपुर), चंदौली, सुमेरपुर (हमीरपुर)।

अब क्या है अगला कदम
पंचायती राज मंत्री जल्द ही बंद पड़े इन उद्योगों को पुनः क्रियाशील बनाने को लेकर बैठक करेंगे। रिपोर्ट के आधार पर उद्योगों की कार्ययोजना तय की जाएगी। सरकार की मंशा है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन और स्वावलंबन को बढ़ावा देने के लिए पंचायत उद्योगों को फिर से सक्रिय किया जाए। यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है, यदि इच्छाशक्ति के साथ इसका क्रियान्वयन किया जाए।

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