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जनपद में रोजगार सेवकों के सहारे चल रही मनरेगा की सोशल आडिट, सब कुछ भगवान भरोसे

विडंबना कि आडिट के दौरान न तो पंचायत सचिव उपस्थित हो रहे और ना ही तकनीकी सहायक ही इसमें रुचि ले रहे हैं। इससे आडिट टीम को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
 

सोशल आडिट का कांसेप्ट दर किनार

हर काम में मिलती है गड़बड़ी

नहीं होती है कायदे से कार्यों की मानिटरिंग

चंदौली शासन की ओर से भले ही मनरेगा के कार्यों में पारदर्शिता लाने को नित नए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सरकारी मशीनरी का उपेक्षात्मक रवैया सोशल आडिट के क्रियान्वयन में बाधा बन रहा है। सोशल आडिट निदेशालय के निर्देश पर ग्राम पंचायतों में कराई जा रही मनरेगा की सोशल आडिट रोजगार सेवकों के सहारे ही चल रही है।

आपको बता दें कि दरअसल सोशल आडिट निदेशालय के निर्देश पर वर्तमान में जनपद के सदर, बरहनी व नौगढ़ विकास खंडों में आडिट का कार्य कराया जा रहा है। सोशल आडिट को संपन्न कराने के लिए ब्लाक कोआर्डिनेटर, ब्लाक रिसोर्स पर्सन व चार सदस्यीय टीम को लगाया गया है। इसके लिए बाकायदा जिला प्रशासन का ओर से रास्टर जारी कर एक ग्राम पंचायत में चार दिन का समय निर्धारित किया गया है।

बताते चलें कि पहले दिन मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों का अभिलेखीय सत्यापन, दूसरे दिन स्थलीय निरीक्षण, तीसरे दिन समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना व राष्ट्रीय वृद्धा पेंशन योजना की आडिट की जा रही है। चौथे व अंतिम दिन ग्राम सभा की बैठक में समस्याओं का निस्तारण कराया जा रहा है।

बता दें कि विडंबना कि आडिट के दौरान न तो पंचायत सचिव उपस्थित हो रहे और ना ही तकनीकी सहायक ही इसमें रुचि ले रहे हैं। इससे आडिट टीम को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे खराब स्थिति सदर विकास खंड की है। यहां तकनीकी सहायक आडिट के कार्य में रुचि ही नहीं ले रहे हैं। उपेक्षात्मक रवैया के कारण न तो पत्रावली समय से उपलब्ध हो रही और ना ही एमबी बुक। इससे आडिट की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही है। सबसे अधिक परेशानी उन ग्राम पंचायतों में हो रही जहां रोजगार सेवकों का पद रिक्त है। अहम यह कि यदि रोजगार सेवक न तो हों तो आडिट संपन्न कराना मुश्किल है।

इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी एसएन श्रीवास्तव ने बताया कि मनरेगा की सोशल आडिट संपन्न लिए संबंधित को दिशा निर्देश जारी किया गया है, ताकि शासन की मंशा के अनुरूप कार्य हो सके।

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