UP पंचायत चुनाव की तैयारी तेज : इन चीजों पर हो रही है नयी तैयारी

20 जून तक जिलाधिकारियों से मांगा गया पंचायतों की जनसंख्या विवरण
नगरीय निकायों के सीमा विस्तार के चलते 512 पंचायतें हुईं समाप्त
पंचायतों की जनसंख्या आने के बाद होगा वार्डों का निर्धारण
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है। राज्य सरकार ने सभी जिलों के प्रशासन से ग्राम पंचायतों की अद्यतन जनसंख्या का ब्योरा 20 जून 2025 तक उपलब्ध कराने को कहा है। यह ब्योरा वार्डों के पुनर्गठन और आरक्षण व्यवस्था को निर्धारित करने के लिए जरूरी माना जा रहा है।

राज्य पंचायत राज विभाग ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर ही पंचायतों में वार्डों का निर्धारण किया जाएगा, ताकि आगामी पंचायत चुनाव पारदर्शी और सटीक तरीके से आयोजित किए जा सकें।
वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश में कुल 58,195 ग्राम पंचायतें थीं। लेकिन नगरीय निकायों के सीमा विस्तार और नगर पंचायतों व नगर पालिकाओं में शामिल किए गए गांवों के कारण 512 ग्राम पंचायतें समाप्त कर दी गई हैं। इन परिवर्तनों के साथ अब राज्य में ग्राम पंचायतों की कुल संख्या घटकर 57,694 रह गई है। देवरिया की 64, आजमगढ़ की 49, अयोध्या की 22, अमरोहा की 21, अलीगढ़ की 16, फतेहपुर की 19, फर्रुखाबाद की 14, गाजियाबाद की 19, गोंडा की 22. गोरखपुर की 22, हरदोई की 14, कुशीनगर की 23, मऊ की 26, प्रतापगढ़ की 46, संतकबीर नगर की 24, सीतापुर की 11 के साथ ही अन्य कई जिलों की कुछ पंचायतें पुनर्गठन में समाप्त हुई हैं।

पंचायती राज विभाग के अनुसार, सीमा विस्तार के साथ ही कुछ क्षेत्रों में नई ग्राम पंचायतों का गठन भी किया गया है। राज्य में 11 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है, जिन्हें पुनर्गठन के बाद शामिल किया गया है।
सीमा विस्तार से बदल गई गांवों की सूरत
प्रदेश के कई जिलों में शहरी आबादी के विस्तार के चलते ग्राम पंचायतों को नगर निकायों में शामिल किया गया है। इसका सीधा असर पंचायत चुनाव की तैयारियों पर पड़ा है। जिन पंचायतों को नगर निकाय में मिलाया गया है, वहां अब पंचायत चुनाव नहीं होंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जनसंख्या और भू-सीमा में हो रहे इस बदलाव का असर आगामी पंचायत चुनाव के समीकरणों पर भी पड़ेगा। कई नेताओं और जनप्रतिनिधियों के कार्यक्षेत्र अब सीमित या बदल जाएंगे, जिससे स्थानीय राजनीतिक समीकरणों में बदलाव तय है।
आगामी प्रक्रिया
जनसंख्या के आंकड़े प्राप्त होने के बाद वार्डों का पुनर्गठन, आरक्षण की प्रक्रिया और मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जाएगा। उसके बाद ही चुनाव कार्यक्रम की घोषणा संभव होगी।
चुनाव आयोग और पंचायत विभाग पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और समयबद्ध ढंग से संपन्न कराने के लिए हर स्तर पर काम कर रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, पंचायत चुनाव 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में कराए जाने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। जनता की भागीदारी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए शासन ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिलों की अद्यतन जानकारी समय से उपलब्ध कराएं, ताकि प्रक्रिया में कोई विलंब न हो।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के क्रम में पंचायती राज निदेशालय ने ग्राम पंचायतों के आंशिक पुनर्गठन का काम पूरा करते हुए इसकी सूचना शासन को भेज दी है। आंशिक पुनर्गठन में 512 ग्राम पंचायतें समाप्त हो गई हैं। 11 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया गया है। सभी जिलाधिकारियों से 2011 की जनगणना के आधार पर ग्राम पंचायतों की जनसंख्या 20 जून तक मांगी गई है। इसके बाद ग्राम पंचायतों में वार्डों का निर्धारण किया जाएगा।
आपको बता दें कि नगरीय निकायों के सृजन व सीमा विस्तार के कारण ग्राम पंचायतों के आंशिक पुनर्गठन का काम पूरा कराते हुए पंचायती राज निदेशक अमित कुमार सिंह ने इसकी सूचना प्रमुख सचिव पंचायती राज को भेज दी है। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2021 में राज्य में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 58,195 थी। पुनर्गठन के बाद 11 नई ग्राम पंचायतों का सृजन किया गया है।
पंचायती राज निदेशालय के अधिकारियों के मुताबिक आंशिक पुनर्गठन के बाद जिलाधिकारियों से ग्राम पंचायतों की जनसंख्या प्राप्त होने पर पर ग्राम पंचायतों में वार्डों का निर्धारण किया जाएगा। तय किया जाएगा कि किस पंचायत में कितने वार्ड होंगे। इसी के आधार पर मतदाता सूची बनेगी जिसके बाद आरक्षण तय किया जाएगा।
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