रामकिशुन यादव का हाई प्रोफाइल ड्रामा, इस से हासिल करना चाहते है जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी
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चंदौली जिले के सपा के पूर्व सांसद रामकिशुन यादव अपने भतीजे को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए देर रात तक जिला पंचायत सदस्य के साथ हाईप्रोफाइल ड्रामा करते हुए पार्टी की इज्ज़त की दुहाई देते हुए उनके पैरों पर गिर पड़े।
बताते चलें कि रामकिशुन यादव समाजवादी पार्टी के चंदौली जिला के कद्दावर नेता है। रामकिशुन यादव समाजवादी पार्टी से सांसद भी रह चुके हैं । इस बार उनके भतीजे तेज नारायण यादव को पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी बनाया है और उनके पार्टी के 15 सदस्यों में भाजपा ने सेंध लगा दी है। जिससे व्याकुल होकर वोट पड़ने के कुछ घंटे पहले देर रात्रि में अपने पार्टी के जिला पंचायत सदस्यों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पार्टी कार्यालय पर बुलाकर सपा की इज्जत की दुहाई देते हुए सदस्यों व उनके प्रतिनिधियों के पैरों पर सर पटकना प्रारम्भ कर दिया।
अब इसका वीडियो भी वायरल हो रहा है और लोग पूर्व सांसद के इस तरह के पैरों पर पढ़ने का वीडियो देखने के बाद जीत के लिए परेशान दिखने वाले पूर्व सांसद की हकीकत देखकर तरह तरह की बातें कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि शायद पूर्व सांसद यह जान चुके है कि उनके पार्टी के सदस्य भाजपा के प्रत्याशी दीनानाथ शर्मा के खेमे में जा रहे हैं और इसी कारण वह परेशान हो गए हैं। इसीलिए वह अपनी जीत के लिए अपने लोगों को एकजुट में करने में जुटे हुए हैं।
पूर्व सांसद के इस हरकत से बौखलाए पार्टी के सदस्य भी कार्यालय से भागने लगे, लेकिन उन्हें रोककर पार्टी की दुहाई देकर पूर्व सांसद वोट मांगने लगे। हालांकि पूर्व सांसद से उनके पार्टी के लोग नहीं जुड़ रहे हैं। इसमें कई कारण हैं।
सूत्रों की माने तो एक कारण यह भी है कि पूर्व सांसद रामकिशुन यादव के ही परिवार में प्रतिनिधियों को टिकट दिया जाता है, जिससे पार्टी में असंतोष रहता है। रामकिशुन यादव जहां सांसद रह चुके हैं, उनके भाई बाबू लाल यादव को मुगलसराय के विधायक का टिकट दिया जाता है। नियमताबाद ब्लॉक पर उनके भतीजे मुलायम सिंह यादव को प्रमुख बनाया गया, जबकि पिछली बार भी पूर्व सांसद के बेटे को सपा का जिला पंचायत अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन अंतिम समय में छत्रबली सिंह के एक्टिव होने पर उनके बेटे को नामांकन वापस लेना पड़ा था। अबकी बार पहले तो सपा के जिलाध्यक्ष समेत कई दिग्गजों की कमेटी ने उनके परिवार में एक ही जिला पंचायत सदस्य का टिकट दिया तो पूर्व सांसद के परिवार में हड़कंप मच गया गया। राजनीति को जिंदा रखने व दबदबे को साबित करने के लिए दो भतीजों को मैदान में उतार दिया और अधिकृत उम्मीदवारों को हराकर अपने भतीजों को जीत भी दिलवा दी।
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अब जब पार्टी के लोगों को कोई उम्मीदवार न मिला तो एक बार फिर मजबूरी में सपा के नेताओं को रामकिशुन यादव के खेमे में जाना पड़ा व उनके उस भतीजे को टिकट देना पड़ा, जिसे टिकट के काबिल नहीं समझा गया।
तेजनारायण को टिकट मिलते ही रामकिशुन एक्टिव हो गए और ऐसा लगने लगा कि सपा बड़ी आसानी से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा कर लेगी। तब भाजपा ने भी अपनी रणनीति बदलते हुए उस दीनानाथ शर्मा को अपना उम्मीदवार बना दिया, जिसे टिकट देना मुनासिब नहीं समझे थे या जिसके खिलाफ अपने कंडीडेट उतारे थे।
कुछ लोग रामकिशुन यादव के परिवारवाद व हर पद उनके खाते में जाने के कारण से नाराज दिखते हैं और इसकी वजह से मुंह पर भले न बोलें पर पीठ पीछे या उनके परिवार के लोगों की अनुपस्थिति में जमकर बौरी हाउस पर आग उगलते हैं। एक चुनावी जनसभा में यह काम पार्टी के विधायक ने किया था, जिसका वीडियो वायरल हुआ था और चंदौली के लोगों ने देखा व सुना भी था।
सभी पदों पर एक परिवार को दिए जाने से कुछ लोगों को इसी के खिलाफ वोट करने के लिए समझाया जा रहा है और पार्टी के अंदरूनी कलह व भाजपा के पक्ष में वोट चले जाने की संभावना इसीलिए बनती जा रही है। जो अब धीरे धीरे आम लोगों को भी दिखने लगा है।
सभी सीटों पर अगर उनके परिवार के ही लोग दावेदार होते रहेंगे तो पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं को कब व कैसे मौका मिलेगा। यही बात अंदरूनी भीतरघात का कारण बनने जा रही है।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विरोधी खेमे ने एक सोची समझी रणनीति के तहत रामकिशुन के भतीजे को टिकट दिया था, जिनका उद्देश्य था कि सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटे। कहीं न कहीं पर्दे के पीछे की इस कहानी को समझने व देखने में रामकिशुन चूक गए हैं।
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