AIPF ने किया VB-G RAM G विधेयक का विरोध, कहा मनरेगा खत्म करने की साजिश
एआईपीएफ ने मनरेगा की जगह प्रस्तावित विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक का विरोध किया। संगठन ने इसे ग्रामीण गरीबों के रोजगार अधिकार छीनने और पलायन बढ़ाने वाला कदम बताया।
एआईपीएफ ने किया विधेयक का विरोध
मनरेगा खत्म करने की साजिश बताई
नई योजना से गांवों में पलायन बढ़ेगा
रोजगार अधिकार पर गहराने लगा है संकट
राज्यों पर आर्थिक बोझ बढ़ाने की तैयारी
चंदौली जिले में मनरेगा की जगह प्रस्तावित विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 का विरोध शुरू हो गया है। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (एआईपीएफ) ने इसे ग्रामीण गरीबों और मजदूरों के रोजगार के कानूनी अधिकार पर सीधा हमला बताया है।
अजय राय का बयान
एआईपीएफ की राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य अजय राय ने कहा कि देश में मांग थी कि मनरेगा में साल भर काम की गारंटी दी जाए, मजदूरी दर बाजार भाव के अनुरूप हो और बजट बढ़ाया जाए। लेकिन सरकार ने नाम बदलने के बहाने मनरेगा को खत्म करने का प्रयास किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम संविधान में मौजूद जनपक्षधर प्रावधानों को कमजोर करने और तानाशाही थोपने की दिशा में उठाया गया है।
अखिलेश दूबे की प्रतिक्रिया
एआईपीएफ के अखिलेश दूबे ने कहा कि नई योजना गांवों में पलायन और बेरोजगारी को और बढ़ाएगी। इससे ग्रामीण गरीबों की क्रयशक्ति कमजोर होगी और उन्हें आजीविका के संकट का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम देश में पहले से जारी मंदी को और गहरा करेगा।
मनरेगा बनाम नई योजना
एआईपीएफ ने बताया कि मनरेगा में जॉब कार्ड, मस्टर रोल और सोशल ऑडिट जैसी पारदर्शी व्यवस्थाएं थीं। काम मांगने पर 14 दिनों के भीतर रोजगार देने और असफल होने पर बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान था। मजदूरी बकाया होने पर ब्याज सहित भुगतान करना सरकार की जिम्मेदारी थी। लेकिन नई योजना में ऐसे प्रावधान नहीं हैं।
राज्यों पर बढ़ेगा बोझ
मनरेगा में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत धनराशि देती थी और राज्य को केवल 10 प्रतिशत देना पड़ता था। नई योजना में 60 प्रतिशत केंद्र और 40 प्रतिशत राज्य द्वारा देने की व्यवस्था है। एआईपीएफ का कहना है कि पहले से आर्थिक संकट से जूझ रहे राज्यों के लिए यह बोझ उठाना मुश्किल होगा।
कृषि कार्य पर रोक
नई योजना में मनरेगा के तहत 60 दिन कृषि कार्य देने के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है। एआईपीएफ ने कहा कि पहले ही कृषि में मशीनीकरण के कारण मजदूरों को काम नहीं मिल रहा था और उन्हें पलायन करना पड़ता था। ऐसे में यह कदम मजदूरों पर कुठाराघात है।
पूंजी घरानों का दबाव
एआईपीएफ ने आरोप लगाया कि बड़े पूंजी घराने शुरू से ही मनरेगा का विरोध करते रहे हैं। कोविड काल को छोड़कर सरकार लगातार मनरेगा के बजट में कटौती करती रही है और अब इसे बंद करने का निर्णय लिया है।
एआईपीएफ की मांग
एआईपीएफ ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह इस जनविरोधी रोजगार योजना को तुरंत वापस ले और मनरेगा को मजबूत करने का काम करे। संगठन ने देशभर के समूहों और संगठनों के साथ मिलकर इस विधेयक का विरोध करने का ऐलान किया है।
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