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किसानों की जमीन पर जबरन अधिग्रहण नहीं सहेंगे, अजय राय ने भी किया विरोध

किसानों का कहना है कि पहले यह तय था कि जब तक उन्हें उचित मुआवजा और रहने की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं मिलेगी, तब तक अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।
 

भारत माला और बंदरगाह परियोजनाओं के नाम पर अन्याय

चंदौली में उपजाऊ और रिहायशी भूमि छीने जाने का आरोप

बहुफसली भूमि को अधिग्रहण से बचाने की हो कोशिश

चंदौली जनपद में भारत माला परियोजना और बंदरगाह निर्माण के नाम पर हो रहे भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों में भारी आक्रोश है। इस मुद्दे पर एआईपीएफ (ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट) के राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि "जमीन गरीबों और किसानों का जीने का सहारा होती है, इसे जबरन छीनना अन्याय है।"

अजय राय ने कहा कि सरकार विकास के नाम पर किसानों की कीमती, बहुफसली और रिहायशी जमीन का अधिग्रहण कर रही है, जबकि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत बहुफसली भूमि को अधिग्रहण से बचाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों से बिना उचित मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था किए जमीन ली जा रही है, जो कि पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है।

किसानों का कहना है कि पहले यह तय था कि जब तक उन्हें उचित मुआवजा और रहने की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं मिलेगी, तब तक अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। लेकिन अब बाजार दर का चार गुना मुआवजा तो दूर, सर्किल रेट भी नहीं बढ़ाया गया, जिससे उन्हें बेहद कम राशि में जबरन जमीन छिनने की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

अजय राय ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को केवल विकास के नाम पर छल रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब भूमि अधिग्रहण कानून खुद कहता है कि बहुफसली जमीन का अधिग्रहण नहीं होगा, तो चंदौली में ऐसे गांव क्यों उजाड़े जा रहे हैं, जहां लोग पीढ़ियों से रह रहे हैं?

कई गांवों के किसान अपनी जमीन बचाने के लिए लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से अपनी बात कह रहे हैं। लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

अजय राय ने स्पष्ट कहा कि, "हमें विकास चाहिए, लेकिन किसानों की मां समान जमीन की कीमत पर नहीं। सरकार को चाहिए कि वह पहले उचित पुनर्वास और मुआवजे की व्यवस्था करे, तभी कोई अधिग्रहण स्वीकार्य होगा।"

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