बसपा के खौफ से डर गयी भाजपा, अब हर विधानसभा क्षेत्र से खोजे जाएंगे 50 दलित नेता
विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोट की तैयारी
बसपा के सक्रिय होने से झिटकेगा दलित वोट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करने वाले हैं नया ऐलान
1 सितंबर को काशी में होने वाली है प्रदेश स्तरीय कार्यशाला
भारतीय जनता पार्टी अब अनुसूचित वर्ग में अब पैठ और गहरी करेगी। उ0प्र0 में होने वाले उपचुनाव से पहले ही इस एक सितंबर से शुरू हो रहे सदस्यता अभियान में इसी पर फोकस होगा। पार्टी का लक्ष्य 2027 विधानसभा चुनाव से पहले हर विधानसभा में 50 मुख्य दलित नेता तैयार करने पर है।
आपको बता दें कि सितंबर से शुरू होने वाले सदस्यता अभियान से पहले खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक सितंबर को काशी में प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे। इसमें उ0प्र0 के सभी प्रमुख नेता हिस्सा लेंगे। कार्यशाला में कार्यकर्ताओं को सदस्य बनाने का लक्ष्य तो दिया ही जाएगा साथ ही समाज के अलग अलग वर्गों में किस तरह से पैठ बनानी है, उनसे बात करने का ढंग भी कार्यकर्ताओं को सिखाया जाएगा। इसमें प्रमुख रूप से पार्टी का फोकस दलित वर्ग पर रहेगा।
बताते चलें कि दरअसल बीते लोकसभा चुनाव में उ0प्र0 में सपा-कांग्रेस के गठबंधन और पीडीए के नारे के बाद भाजपा को खासा नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी अब तक इसके कारणों को नहीं तलाश सकी है कि दलित वोट बैंक कैसे भाजपा के पास से खिसक गया।
इधर, बसपा भी सक्रिय हो गई है तो उससे पहले ही भाजपा दलित नेताओं को तैयार कर उन्हें मैदान में उतारेगी। संगठन की बैठकों में इस पर भी चर्चा हुई कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उ0प्र0 की आरक्षित सभी 17 सीटों पर जीत हासिल की थी और 2019 में आरक्षित इन्हीं सीटों पर जीत घटकर 14 हो गई थी मगर 2024 के चुनाव में पचास फीसदी से अधिक नुकसान भाजपा को हो गया। आरक्षित 17 सीटों में पार्टी सिर्फ 8 सीटें ही जीत सकी।
पार्टी नहीं चाहती संविधान बदलने जैसे संदेश फिर हों प्रभावी हर विधानसभा में दलित नेता तैयार करने के पीछे का उद्देश्य यह भी है कि पार्टी नहीं चाहती है कि लोकसभा चुनाव की तरह किसी चुनाव में संविधान बदलने जैसा संदेश प्रभावी हो। लोकसभा चुनाव में गठबंधन के नेताओं ने इस संदेश को प्रभावी ढंग से दलितों के बीच में रखा कि यदि भाजपा सरकार आई तो आरक्षण खत्म कर देगी और संविधान बदल देगी।
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