साधना सिंह की टेंशन बढ़ाने के लिए मुगलसराय के मैदान में आ गए छत्रबली व सरिता सिंह
साधना सिंह की बढ़ेगी टेंशन
मुगलसराय के मैदान में आ गए दो दावेदार
विधानसभा चुनाव के लिए छत्रबली व सरिता सिंह भी तैयार
चंदौली जिले की राजनीति के किसी खास इलाके में छत्रबली सिंह या उनकी पत्नी सरिता सिंह की एंट्री हो और उसकी हनक कहीं और ना सुनाई दे ऐसा कैसे हो सकता है। कुछ ऐसा ही आजकल उनकी विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर लगने लगा है। छत्रबली सिंह और सरिता सिंह अपने पसंदीदा और अन्य विधानसभाओं से सुरक्षित समझी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी की सीट से अपनी दावेदारी ठोकते हुए मौजूदा विधायक साधना सिंह को मुश्किल में डालने का काम शुरू कर दिया है।
केन्द्रीय मंत्री व सांसद महेन्द्रनाथ पांडेय के साथ साथ देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के वरदहस्त को पाने के बाद उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और भी बढ़ गयी है और वह सोच रहे हैं कि कितने दिन तक सांसद व विधायक के पीछे चलते रहेंगे..अब उन्हें खुद जनता की अदालत में जाकर विधानसभा व उसके बाद लोकसभा का रुख करना चाहिए।
हवा का रुख भांपकर फैसले लेने वाले नेता
राजनीति के मजे खिलाड़ी और हवा का रुख भांपकर अपने राजनीतिक चाल चलने वाले छत्रबली सिंह अब जिला पंचायत की गद्दी अपने खासमखास को सौंप कर विधानसभा में जाने का सपना पाल रहे हैं। वह खुद विधायक और उसके बाद मंत्री की कुर्सी पर काबिज होने की लालसा के तहत सबसे सुरक्षित और आसान सीट से टिकट मांगने की दावेदारी पेश कर रहे हैं, ताकि टिकट मिले तो कम से कम खर्चे में चुनाव निपट जाए और भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा में पहुंच जाएं।
हालांकि विधानसभा के तैयारी पति पत्नी दोनों की है और कोशिश यह है कि जिसे भी विधानसभा का टिकट मिले वह चुनाव लड़ जाए। इसलिए महिला कोटे की सीट पर भी नजर रखते हुए छत्रबली सिंह में मुगलसराय विधानसभा में सपत्नी अपनी दावेदारी ठोंक दी है।
छत्रबली सिंह केवल अकेले दावेदारी नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इस बात की प्रबल संभावना है कि भाजपा के कोटे में एक सीट महिला को जा सकती है, तो सरिता सिंह भी अगर दावेदारों में शामिल रहेंगी तो उनके हाथ में दो मौके होंगे।
साधना सिंह के लिए टेंशन
वहीं मुगलसराय के विधायक साधना सिंह का मानना है कि जिस तरह से उन्होंने अपने विधानसभा में काम किया है और पार्टी के जनाधार को मजबूत करने का काम किया है, उससे उनको टिकट मिलने का पूरा भरोसा है। उसको देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने और दोबारा विधानसभा में पहुंचने की कोशिश में वह दिन रात एक किए हुए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी विधानसभा के नाराज वोटरों को मनाने के लिए कुछ नए नवेले तरीके भी अपनाकर नाराज पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और अपने मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं। फिलहाल हर घर में उनका कैलेंडर पहुंचने लगा है। साथ ही साथ वह अपनी लंबी चौड़ी विकास पुस्तिका भी लोगों को सौंप रही हैं, ताकि 5 साल में नाली, सड़क, खड़ंजा इत्यादि से लेकर जितने भी बड़े काम उनकी विधानसभा में हुए हैं.. सबको याद दिलाते हुए उसका कुछ न कुछ लाभ लिया जा सके।
गोटी सेट करने में माहिर हैं छत्रबली
अब देखना यह है कि साधना सिंह टिकट बंटवारे के पहले किस तरह से अपनी पकड़ पार्टी और टिकट वितरण करने वाले समूह में मजबूत रख पाती हैं। वहीं पार्टी किस तरह से मुगलसराय विधानसभा में चल रहे एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को दूर करने के लिए कोई नयी पहल करते हुए कहीं उम्मीदवार बदलने की कोशिश तो नहीं शुरू कर देती है। ऐसे सूरत में पार्टी किसी नए चेहरे को तो मैदान में उतारने की कोशिश कर सकती है, जो मुगलसराय विधानसभा के लिए नया हो और धनबल में भी मजबूत हो। ताकि विरोधी दल से कोई भी उम्मीदवार मुगलसराय विधानसभा के चुनाव में उसके आगे टिक न सके। इस फार्मूले सरिता सिंह व छत्रबली सिंह तब फिट बैठ सकते हैं, जब पार्टी के पुराने नेता खुलकर उनका विरोध न करें।
छत्रबली सिंह जानते हैं कि चंदौली की राजनीति में किसको किस तरह से मनाया जाता है और कौन किस तरह से सेट हो जाता है। इसीलिए इनकी राजनीतिक लालसा को देखकर कई भाजपा के दिग्गज नेता सरेंडर हो सकते हैं या कुछ खास कारणों से इनके आगे अपना मुंह बंद रख सकते हैं।
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