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इसलिए चंदौली के विधायक नहीं बन पाते हैं मंत्री, शारदा प्रसाद आखिरी मंत्री

 

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में  रविवार को सात नए मंत्री शामिल किए जाने के बाद भी चंदौली जिले से किसी को लालबत्ती नसीब नहीं हुयी। धान के कटोरा के नाम से प्रसिद्ध चंदौली जिले में भाजपा सरकार में लालबत्ती लगाकर रुतबा बढ़ाने का शौक नहीं पूरा हो सका। 

किसी विधायक को लालबत्ती न मिलने से मायूसी दिखी, जबकि राजनीतिक व जातीय समीकरण सेट करने के लिए पड़ोसी जिले सोनभद्र और गाजीपुर के विधायक मंत्री बनाए गए हैं। वर्ष 2017 में हुए विधान सभा चुनाव में मोदी लहर में की वजह से जिले के चार सीटों में तीन सीटें भाजपा ने जीती थी। सकलडीहा सीट जीत कर सपा ने किसी तरह अपनी इज्जत बचाई थी। बाकी तीन सीटों सैयदराजा, मुगलसराय और चकिया पर भाजपा के सुशील सिंह, साधना सिंह और पूर्व मंत्री रहे शारदा प्रसाद ने जीत दर्ज की। 

चुनाव के बाद भी ऐसा समझा जा रहा था कि भाजपा की सरकार बनने पर चंदौली को भी मंत्रीमंडल में जगह मिलेगी लेकिन जनपद के किसी विधायक को लाल बत्ती नहीं मिली। उससे पूर्व समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार में भी यहां से किसी को भी लालबत्ती नहीं नसीब हुई थी। वहीं पड़ोसी जिले गाजीपुर के सदर विधायक डॉ. संगीता बलवंत बिंद और सोनभ्रद के विधायक संजीव सिंह को मंत्री पद मिला। 

राजनीति के जानकारों का कहना है कि चंदौली जिले में राजनीतिक दबदबे वाले किसी विधायक के न होने से ऐसा हुआ है। सारे विधायक केवल अपने विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं। इसीलिए वह सरकार के समीकरण में फिट नहीं बैठते हैं। इसीलिए वह मंत्री बनने से चूक जाते हैं।

आपको याद होगा कि बसपा सरकार में मायावती की कृपा से शारदा प्रसाद जब चंदौली सुरक्षित सीट से पहली बार विधायक बने थे, तभी मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद किसी को कोई मौका नहीं मिला।

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