डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा, प्रदेश मंत्री शंकर गिरी ने किया संबोधित
चंदौली भाजपा कार्यालय में हुआ कार्यक्रम
प्रदेश मंत्री शंकर गिरी बोले - मानवता के उपासक और सिद्धांतवादी थे डॉ. मुखर्जी
भाजपा नेताओं ने गिनाए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कई कार्य
चंदौली जिले में सोमवार को भारतीय जनसंघ के संस्थापक और महान राष्ट्रवादी नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर भारतीय जनता पार्टी चंदौली कार्यालय में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने उनके राष्ट्र के लिए दिए गए योगदान को याद किया और उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।
“एक देश, एक विधान” का नारा देने वाले नेता
सभा को संबोधित करते हुए भाजपा के प्रदेश मंत्री शंकर गिरी ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। उनका जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उन्होंने 1923 में कानून की उपाधि ली और फिर 1926 में इंग्लैंड से बैरिस्टर बनकर लौटे। मात्र 33 वर्ष की उम्र में वे कोलकाता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति बने।

भारतीय जनसंघ की नींव रखकर बदली देश की राजनीति
जिलाध्यक्ष काशीनाथ सिंह ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना कर राष्ट्रवादी विचारधारा को संगठित किया। उन्होंने ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे’ जैसे नारों से देश के युवाओं को जागरूक किया और जन-जन में राष्ट्रभक्ति का अलख जगाया।

धारा 370 के विरोधी, कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानने वाले नेता
कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य साधना सिंह ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने विभाजन के बाद बंगाल में मुस्लिम लीग की संकीर्ण राजनीति के खिलाफ संघर्ष किया और बंगाल के हिंदुओं की सुरक्षा का बीड़ा उठाया। वहीं विधायक रमेश जायसवाल ने कहा कि वे धारा 370 के कट्टर विरोधी थे और जम्मू-कश्मीर को भारत का पूर्ण अंग बनाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

कार्यकर्ताओं ने लिया संकल्प – उनके विचारों को करेंगे आत्मसात
सभा के दौरान राणा प्रताप सिंह, सूर्य मुनि तिवारी, शिवशंकर पटेल, सुजीत जायसवाल, शिवराज सिंह, बुद्ध लाल विश्वकर्मा, अनिल तिवारी सहित कई वरिष्ठ कार्यकर्ता मौजूद रहे। सभी ने डॉ. मुखर्जी के जीवन से प्रेरणा लेने और उनकी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने डॉ. मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को याद किया।
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