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कम विद्यार्थी वाले 97 परिषदीय स्कूलों का होगा विलय, शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध

विद्यालयों के प्रस्तावित विलय पर शिक्षक संगठनों ने नाराजगी जताई है। उनका तर्क है कि इससे न केवल शिक्षकों के स्थानांतरण में समस्या आएगी बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी बाधित होगी।
 

कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल चिह्नित

50 से कम नामांकन वाले विद्यालयों पर गिरी गाज

शिक्षक संघों ने उठाई छात्रों के भविष्य और स्थानांतरण की चिंता

चंदौली जिले में परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए चलाए गए जागरूकता अभियानों के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके हैं। इसी को देखते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने कम नामांकन वाले विद्यालयों की सूची तैयार कर उनके विलय की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बार जिले के 97 ऐसे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय चिह्नित किए गए हैं, जहां विद्यार्थियों की संख्या 50 से भी कम है।

बेसिक शिक्षा अधिकारी सचिन कुमार ने बताया कि जिले के 1,185 परिषदीय विद्यालयों में से 738 प्राथमिक व 447 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें से कई विद्यालयों में छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षक अधिक हैं, जबकि कुछ में छात्रों की संख्या अधिक होने के बावजूद पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। ऐसे में शैक्षिक संतुलन बनाए रखने के लिए कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को आसपास के विद्यालयों के साथ विलय किया जाएगा।

बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देशित किया था कि वे अपने क्षेत्र में कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों की रिपोर्ट तैयार करें। अब ये रिपोर्टें विभाग के पास पहुंच चुकी हैं, जिन्हें शासन को भेजा जाएगा। शासन के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।

2024-25 सत्र में भी चिह्नित हुए थे विद्यालय
पिछले शैक्षणिक सत्र में भी ऐसे 66 विद्यालय चिह्नित किए गए थे, जहां छात्र संख्या अत्यधिक कम थी। इस बार इनकी संख्या बढ़कर 97 हो गई है। हालांकि कुछ विद्यालयों में स्कूल चलो अभियान के तहत नामांकन में बढ़ोतरी होने के कारण उन्हें इस सूची से बाहर रखा गया है।

विलय पर शिक्षक संगठनों ने जताया विरोध
विद्यालयों के प्रस्तावित विलय पर शिक्षक संगठनों ने नाराजगी जताई है। उनका तर्क है कि इससे न केवल शिक्षकों के स्थानांतरण में समस्या आएगी बल्कि छात्रों की पढ़ाई भी बाधित होगी। साथ ही, कई विद्यालय दूर-दराज या दुर्गम क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां अन्य स्कूलों तक पहुंचना विद्यार्थियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

बच्चों की सुरक्षा और भौगोलिक दूरी होगी प्राथमिकता
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने स्पष्ट किया कि स्कूलों के विलय की प्रक्रिया में बच्चों की सुरक्षा और विद्यालयों के बीच की दूरी का विशेष ध्यान रखा जाएगा। ऐसे किसी भी विद्यालय का विलय नहीं किया जाएगा, जिनके बीच अधिक दूरी है या कोई प्राकृतिक बाधा जैसे नदी आदि आती हो।

बेसिक शिक्षा विभाग का यह कदम जहां शैक्षिक संसाधनों के समुचित उपयोग और गुणवत्ता सुधार की ओर इशारा करता है, वहीं इसे लेकर शिक्षक संगठनों और ग्रामीण इलाकों में चिंता भी देखी जा रही है। अब देखना होगा कि शासन इस दिशा में आगे क्या निर्णय लेता है और इससे शिक्षा व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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