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अब चर्चा का विषय है साहब की एसी व तेल वाली खास तरह की फरमाइश

पुलिस के लोगों में चर्चा है कि साहब किसी न किसी बहाने अपने मातहतों को अपने द्वारा उनके उपर की जा रही खास मेहरबानी का एहसास दिलाते रहते हैं और उसके बदले में दर्जनों की संख्या में गिफ्ट और अन्य सामान इकट्ठे करते रहते हैं।
 

पुलिस विभाग में ऐसे भी हैं एक अफसर

परेशान हैं विभाग के कर्मचारी

फरमाइशों से परेशान हैं मातहत

कार्रवाई के डर से पूरी करते हैं हर फरमाइश

चंदौली जिले के पुलिस विभाग में तैनात एक आला अधिकारी जोंक बनकर अपने मातहतों का खून चूस रहा है। वह बाकायदा एक खास तरह का अपना निजी प्रोटोकॉल बनाकर थाने, चौकी, कोतवाली इत्यादि से अपनी इच्छाओं को पूर्ति करने के तमाम साधन और संसाधन जुटाता रहता है। फिलहाल साहब की सेवा में दिए जाने वाले कई एयरकंडीशनर, सबसे महंगा रिफाइंड तेल व लगभग डेढ़ लाख रुपए वाला मोबाइल फोन चर्चा में ला दिया है। एक समाचार पत्र में छपी खबर को लोग चटकारे लेकर पढ़ रहे हैं।

पुलिस के लोगों में चर्चा है कि साहब किसी न किसी बहाने अपने मातहतों को अपने द्वारा उनके उपर की जा रही खास मेहरबानी का एहसास दिलाते रहते हैं और उसके बदले में दर्जनों की संख्या में गिफ्ट और अन्य सामान इकट्ठे करते रहते हैं।

दैनिक समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा में छपी खबर के अनुसार,  साहब को एक नहीं कई एयर कंडीशनर की जरुरत आन पड़ी तो मातहतों के सामने लिस्ट पेश कर दी। इस बात का खुलासा तब हुआ जब चंदौली जिले के दो-दो इंस्पेक्टर एक ही दुकान से साहब के लिए एसी भेजने का ऑर्डर दे दिए। यह कारनामा होते ही खबर आग की तरह फैल गई और दुकान व पुलिस महकमे से बाहर निकल गयी। पता चला कि साहब के यहां लगभग आधा दर्जन एयर कंडीशनर पहुंचे थे। वह किसलिए गए थे..किसने किसने दिए थे..यह तो वही बता सकते हैं।

 दैनिक समाचार पत्र राष्ट्रीय सहारा में छपी खबर के अनुसार पुलिस के बड़े ओहदे वाले इस अधिकारी की कार्यशैली ऐसी है कि वह एक चौकी इंचार्ज से एक खास किस्म का रिफाइंड तेल डिमांड कर बैठे तो उसकी भी चर्चा होने लगी। इसकी कीमत ₹1000 प्रति लीटर तक बतायी जा रही है, ताकि साहब उसका इस्तेमाल अपनी सेहत सुधारने के लिए कर सकें। साहब के यहां इस तेल की खपत भी लगभग 5 लीटर है, इसलिए उनको 5 लीटर रिफाइंड भेजने के लिए लगभग ₹5000 खर्च करना पड़ रहा है।

 ऐसी चर्चा अक्सर चंदौली जिले के पुलिस महकमे में होने लगी है कि साहब ने जब से चंदौली जिले में दूसरी बार कदम रखा है, तब से मलाई काटने पर ही पूरा ध्यान लगाए रखे हैं। इसके लिए हर थाने, चौकी और कोतवाली में उनके खास सिपहसालार हैं। 

इतना ही नहीं साहब ने जब से सरकारी आवास और अपने कार्यालय में कदम रखा है तब तक दोनों जगहों की सुख सुविधाओं को 3 स्टार होटल जैसा बनाने की भरपूर कोशिश कर चुके हैं। इतना ही नहीं वह अपने से पहले के अधिकारियों को सिर्फ इस बात के लिए कोसते थे कि वह कैसे बिना सुख सुविधाओं वाले आवास और कार्यालय में रहकर अपनी नौकरी किया करते थे। पैसा सरकारी स्रोतों से मिल गया तो ठीक नहीं तो दाहिने बाएं से जुगाड़ करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं। 

चंदौली जिले में ऐसी भी चर्चा पुलिस महकमे के कई उप निरीक्षक और निरीक्षक किया करते हैं कि साहब कि सैलरी से पेट भरना मुश्किल है। इसीलिए दाहिने बाएं हाथ मारना पड़ रहा है। हम लोगों को नौकरी करनी है तो उनकी फरमाइश भी पूरी करनी है। सबके सामने इमानदार भी बने रहने है और साहब के लिए चोरी भी करना है। नहीं तो कब किसकी कैसी फाइल खुल जाएगी उसकी कोई गारंटी नहीं है। 

वैसे भी साहब के निशाने पर जो भी आता है उसका नुकसान होना तय ही माना जाता है। तभी तो पुलिसकर्मी कहा करते हैं कि अगर साहब के हाथ किसी भी व्यक्ति की जांच लग गई तब तो उसकी खैर नहीं। जांच के नाम पर साहब कब किससे क्या मांग लें.. यह सिर्फ वही बता सकता है। जांच रिपोर्ट पर तब तक मनमाफिक रिपोर्ट नहीं लगाते, जब तक उनकी ख्वाहिश ना पूरी हो जाए। 

फिलहाल तो साहब का मोबाइल भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा जाता है कि इसकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपए है। ऐसा मोबाइल शायद किसी और पुलिस अधिकारी के पास हो। ऐसा लगता है कि खास तरह की सुविधाओं वाले इस मोबाइल के जरिए वह कुछ खास काम करते हैं। जिससे अन्य पुलिस अधिकारी शायद नहीं कर पाते हैं। उसके खासियत व खास काम की जानकारी तो वही दे सकते हैं, लेकिन पुलिस के कर्मचारी उनकी जोंक की तरह माल चूसने वाली कार्यशैली से त्रस्त होने लगे हैं। इतना ही नहीं उनके ऊपर के अधिकारी भी महकमे की कानाफूसी के जरिए मिलने वाली इस सूचनाओं को जानते व समझते हैं, लेकिन वह भी जानकर अंजान बने हुए हैं। 


लोगों का कहना है कि अगर जिले में ऐसा ही सब कुछ चलता रहा तो किसी न किसी दिन पुलिस कर्मियों का आक्रोश फूटेगा और साहब के कार्यालय में कोई बड़ी घटना होगी तभी विभाग के लोगों की आंखों पर लगा पर्दा हटेगा।

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