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केवल सत्तापक्ष के कार्यक्रमों भीड़ बढ़ा रहीं हैं समूह की महिलाएं, कोई नहीं सुनता इनका दुख दर्द

चंदौली जिले के आईपीएफ नेता अजय राय ने आरोप लगाया कि ज्यादातर समय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं, महिला सखी  और महिला दीदी  को सरकारी योजनाओं की  जानकारी देने की जगह भाजपा नेताओं की सभा में भीड़ दिखाने व भाषण सुनाने में राजनैतिक उपयोग किया जाता हैं।
 

1 करोड़ लखपति दीदी की घोषणा महज प्रोपेगेंडा

स्वयं सहायता समूह के उत्पादों को मिले बाजार

हर समूह को 5 लाख अनुदान दे भाजपा सरकार

 

चंदौली जिले के आईपीएफ नेता अजय राय ने आरोप लगाया कि ज्यादातर समय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं, महिला सखी  और महिला दीदी  को सरकारी योजनाओं की  जानकारी देने की जगह भाजपा नेताओं की सभा में भीड़ दिखाने व भाषण सुनाने में राजनैतिक उपयोग किया जाता हैं। यह हर बड़े आयोजनों में देखा जा सकता है, जिससे वह अपने काम पर ध्यान देने के बजाय नेताओं के कार्यक्रमों में जाकर तालियां बजाने का काम करती हैं।

  केंद्र सरकार द्वारा देश में एक करोड़ लखपति दीदी बनाने की बजट में की गई घोषणा महज प्रोपेगेंडा है नजर आता है, जबकि इसकी सच्चाई यह है कि अभी भी महिलाओं के स्वयं सहायता समूह आत्मनिर्भर नहीं बन सके हैं और महिलाओं की आजीविका उनसे पूरी नहीं हो रही है। इसलिए सरकार को तत्काल महिला हर स्वयं सहायता समूहों को 5 लाख का अनुदान और उनके पैदा किए हुए उत्पाद के लिए बाजार की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।

आईपीएफ राज्य कार्य समिति सदस्य अजय राय ने कहा कि हमने चंदौली जनपद के कई गांवों में जाकर  महिला सहायता समूह से जुडी महिलाओं से बातें करके जब उनका हाल जानने की कोशिश की तो महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कहा कि एक तो अनुदान भी कम मिलता हैं ,वहीं उनके द्वारा उत्पादित समान के खरीदार कोई नहीं  हैं। न ही सरकार खरीद करने में कोई मदद करती है। इसलिए केवल कागजों में समूह चलाए जाते हैं। एक दो सहायता  समूहों की महिलाओं को छोड़ दें तो बाकी सबका यही हाल है। 

महिलाओं का आरोप यह भी थी कि दलाल अनुदान का पैसा का एक हिस्सा हजम कर जाते हैं। वहीं समूह की महिलाओं ने एक बड़ा आरोप यह भी लगाया कि हमें तो सत्ताधारी दल के सभाओं में भीड़ बढ़ाने में भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। अधिकारी व ग्राम प्रधान इसके लिए दबाव बनाते हैं। नहीं जाने पर तरह तरह की धमकियां भी देते हैं।

महिलाओं ने कहा कि हर जनसभा में  योजनाओं की जानकारी के नाम पर हर सभा में हमें बुलाया जाता हैं। महिलाओं को अपना पैसा खर्च करके जाना होता है। समूह की महिलाओं को शौचालय देख रेख की जबावदेही दी गयी हैं, लेकिन समय पर उनको मानदेय मिलेगा या नहीं.. इसकी कोई गारंटी नहीं देता है।  ! इसलिए जमीनी सच्चाई यह हैं कि लखपति दीदी का ढिंढोरा चाहे जितना पीटा जाए लेकिन व्यवस्था में उनकी हालत खस्ता हैं। 

महिलाओं ने कहा कि कुछ जगहों  पर मिड डे मील के भोजन देख रेख करने का काम मिला है। इसके अलावा महिलाओं को प्रशिक्षित कर दक्ष बनाने की तैयारी की  बातें  होती और कहा गया इसके लिए जल्द ही जनपद में पंजीरी (पोषाहार) बनाने के लिए सभी नौ ब्लाकों में कारखाना खोले जाएंगे और महिलाओं को जोड़कर स्वरोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई हैं।

 चंदौली  में पूर्व की जानकारी के अनुसार 8002 समूह हैं। इस समूह से तकरीबन 80 हजार से अधिक महिलाएं जुड़कर सिलाई कढ़ाई से लेकर मास्क निर्माण में अपनी भूमिका निभा रही हैं। इसमें लगभग 20,000 से अधिक महिलाओं को तकनीकी रूप से प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इसमें लगभग 1000 से अधिक महिलाएं सिलाई और कढ़ाई में प्रशिक्षित हैं। एक समय में स्कूल ड्रेस बनाने की जबाव देही भी दिया, लेकिन अब वह भी बंद है।

अजय राय ने कहा स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को सखी दीदी को अब तो ज्यादातर सरकारी योजनाओं के जानकारी के नाम पर भाजपा नेताओं का भाषण सुनाने के लिए बुलाकर उनको परेशान किया जाता है। इसलिए प्रधानमंत्री जी को इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। बजट में एक करोड़ लखपति दीदी की संख्या घोषित करके वाहवाही लूटने वाले प्रधानमंत्री को केवल प्रोपेगेंडा करने के बजाय गांवों की हकीकत भी देखनी चाहिए।

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