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जिला कार्यक्रम अधिकारी नीलम मेहता : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गर्भवती व नवजात का रख रहीं खास ख्याल

 

चंदौली जिले मे बच्चों को सुपोषित बनाने के उद्देश्य से एक जुलाई से दो अक्टूबर तक विशेष अभियान के तहत गर्भवती के स्वास्थ्य व  पोषण का खास ख्याल रखा जा रहा है ताकि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहें । इन्हीं उद्देश्यों  को ध्यान में रखते हुए, इस बार इस योजना की थीम  मातृ पोषण पर आधारित है।  इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गृह भ्रमण कर गर्भवती व धात्री महिलाओं को उनके स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति जागरूक कर रही हैं, साथ ही बच्चों का वजन भी कर रही हैं।  

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वी पी द्विवेदी ने कहा -  अतिकुपोषित (सैम) और मध्यम कुपोषित (मैम) का मुख्य कारण माँ का कुपोषित होना है। जन्म के समय शिशु का वजन कम होने का कारण, गर्भावस्था के दौरान जागरूकता की कमी,  पोषण युक्त भोजन का अभाव एवं बच्चे को स्तनपान न कराना, समय से ऊपरी आहार का शुरू न करना या कम मात्रा में ऊपरी आहार देना, साथ ही स्वच्छता की कमी भी हो सकता है। इसके साथ ही दस्त, निमोनिया या टीबी  के कारण भी बच्चे में सैम या मैम  होने की संभावना हो सकती है। ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उन्हें तत्काल पोषण एवं चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है।


बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी नीलम मेहता ने बताया - पोषण अभियान के तहत जिला पोषण समिति की बैठक हुई थी, जिसमें जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि कुपोषित बच्चों को पुष्टाहार देकर कुपोषण मुक्त बनाया जाये। गृह भ्रमण कर गर्भवती  के खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाये। गर्भवती  को हरी साग-सब्जियों के सेवन के लिए प्रेरित किया जाये।  

आंगनबाड़ी एवं आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया जाये कि गर्भवती को गर्भवस्था के समय की सारी जानकारियां समय-समय पर देती रहें,  जिससे गर्भवती स्वस्थ शिशु को जन्म दे सके। इसके साथ ही नवजात की निगरानी करें, जन्म के तुरंत बाद ही शिशु का वजन लिया जाये । जन्म के समय अगर बच्चे का वजन कम हो तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाकर डॉक्टर से जांच करायेँ।  बच्चे की स्थिति के अनुसार महिला अस्पताल के एनआईसीयू में भर्ती कराएं जहां पर बच्चे का पूरा इलाज निःशुल्क किया जायेगा।
 

नीलम मेहता ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत जिले के 1823  आँगनबाड़ी केन्द्रों की कार्यकर्ताओं के द्वारा अतिकुपोषित, कुपोषित शिशु का वजन व गर्भवती माताओं एवं धात्री माँ को जागरूक किया जा रहा है । विगत एक से दस जुलाई के मध्य प्रथम त्रैमास  वाली गर्भवती  को शीघ्र पंजीकरण के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही उनका वजन और लम्बाई नापी गयी,  ताकि उनके पोषण का स्तर जाना जा सके। इसके साथ ही 12 से 17 जुलाई के बीच द्वितीय त्रैमासिक वाली गर्भवती का वजन व स्वास्थ्य जांच के साथ ही आयरन व कैल्शियम तथा पौष्टिक आहार के सेवन की सलाह और इसके महत्व के बारे में बताया गया । 


19 से 24 जुलाई के बीच तृतीय त्रैमास वाली गर्भवती को आयरन व कैल्शियम के सेवन की सलाह के साथ ही प्रसव से पहले उन्हें क्या तैयारियां करनी है के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही उनका वजन लिया जायेगा और स्वास्थ्य जांच भी की जायेगी। गर्भवती को शीघ्र स्तनपान और केवल स्तनपान कराने व इसके महत्व के बारे में भी सलाह दी जाएगी।


26 से 31 जुलाई तक नवजात स्वास्थ्य के बारे में अभिभावकों को जागरूक किया जायेगा। नवजात शिशुओं को छह माह तक केवल स्तनपान कराने व पानी तक न देने की सलाह दी जायेगी । नवजात का वजन लिया जायेगा। महिलाओं के स्वास्थ्य व पोषण स्तर की जांच भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जायेगी।

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