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जानिए क्यों लटकी है यूपी के भाजपा जिलाध्यक्षों की सूची, कहीं सामाजिक समीकरण व आपसी खींचतान का अड़ंगा

पहले 70 जिलाध्यक्षों की सूची को अंतिम रूप देकर केंद्रीय नेतृत्व के पास भेजा गया था, किंतु इसमें महिलाओं व वंचितों की उचित भागीदारी न होने पर आपत्ति जताई गई।
 

30 दिसंबर तक होनी थी जिलाध्यक्षों की घोषणा

दो माह बाद भी नहीं हो सके जारी

महिलाओं व वंचितों की भागीदारी बढ़ाने के लिए वापस हुई सूची

भाजपा जिलाध्यक्षों की सूची सामाजिक समीकरण ठीक से न बैठा पाने व बड़े नेताओं के बीच आपसी खींचतान के कारण अटक गई है। प्रदेश से जो सूची बनी थी उसमें महिलाओं व वंचितों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था। इस पर केंद्रीय नेतृत्व ने आपत्ति जताते हुए उसे वापस कर दिया था। अब नए सिरे से जिलाध्यक्षों के चयन की कवायद की जा रही है।

आपको बता दें कि भाजपा ने संगठनात्मक दृष्टि से प्रदेश को 98 जिलों में बांटा गया है। संगठनात्मक चुनाव के तहत जिलाध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया चल रही है। यूं तो जिलाध्यक्षों की घोषणा 30 दिसंबर तक होनी थी किंतु दो महीने बीतने के बावजूद अभी भी सूची फाइनल नहीं हो सकी है। पहले 70 जिलाध्यक्षों की सूची को अंतिम रूप देकर केंद्रीय नेतृत्व के पास भेजा गया था, किंतु इसमें महिलाओं व वंचितों की उचित भागीदारी न होने पर आपत्ति जताई गई। चूंकि केंद्र सरकार नारी शक्ति वंदन अधिनियम लेकर आई है जिसमें लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण का प्रविधान है। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि जिलाध्यक्षों में महिलाओं की भी ठीक-ठाक भागीदारी रहे।

बताते चलें कि प्रदेश में पिछड़ों की भी आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है, ऐसे में उनकी संख्या भी अधिक रखने के लिए कहा गया है। केंद्रीय नेतृत्व ने अधिक से अधिक जिलों में आम सहमति से जिलाध्यक्ष तय करने के लिए कहा है।

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