वोट में सबको कैसे पछाड़ेंगे सहयोग में विवेक अग्रहरी को पछाड़ने वाले देवीशरण उर्फ पंडित
टिकट काटने का बसपा को होगा फायदा या नुकसान
अग्रहरी व पंडित में किसको मिलेगा वैश्य बिरादरी का वोट
बसपा के कैडर वोट से जीत कितनी संभव
चंदौली जिले में चंदौली नगर पंचायत के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का टिकट एक बार फिर से चर्चा का विषय बना हुआ है। बसपा में कोई टिकट किस तरह से मिलता है.. यह हर किसी को मालूम है। भले ही लोग इसे अखबारों में ना छाप सके या टीवी चैनल पर ना चला सकें..लेकिन दबी जुबान से असकी चर्चा खूब होती है।
आजकल चंदौली में भी इसकी चर्चा हर जगह खुलेआम हुआ करती है। बसपा में सहयोग के नाम पर होने वाला खेल चंदौली जिले में भी जारी रहा है, तभी तो बहुजन समाज पार्टी की चुनाव के दौरान घोषित प्रत्याशी विवेक अग्रहरी पर्चा भरने के पहले टिकट से दरकिनार कर दिया गया। इसके बाद बसपा के प्रत्याशी के रूप में वह नामांकन नहीं कर पाए। नामांकन के पहले पार्टी के लोगों ने प्रत्याशी बदलते हुए देवी शरण जयसवाल को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया और विवेक अग्रहरी केवल नामांकन पूर्व घोषित उम्मीदवार बनकर ही रह गए। हालांकि उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल करके पार्टी के लोगों के साथ-साथ अन्य दलों को सबक सिखाने की बात कही और यह दावा किया कि सारे दलों के लोगों ने मिलकर उनका टिकट कटवा दिया है, लेकिन सच्चाई यही है कि सहयोग के मामले में वह देवी शरण जायसवाल से पीछे रह गए।
अगर उनका सहयोग देवी शरण जायसवाल से आगे निकलता तो वह पार्टी के प्रत्याशियों के रूप में मैदान में टिके रह सकते थे। हालांकि पार्टी के द्वारा की गई इस तरह की हरकत से मतदाताओं में तरह-तरह की चर्चा है और बसपा के वोटर पार्टी के इन दो टिकट दावेदारों को छोड़कर कहीं और भी जा सकते हैं और दोनों को चुनाव में तगड़ा झटका लग सकता है। हालांकि दोनों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है और अपने आपको आज भी बहुजन समाज पार्टी का कार्यकर्ता बताते हैं, लेकिन मतदाता किस पर भरोसा करते हैं यह तो 13 मई को मतपेटी खुलने के बाद ही पता चलेगा। लेकिन बहुजन समाज पार्टी से ऐसे लोगों का मोहभंग होने लगा है, जो दिन रात मेहनत करके पार्टी के लिए काम करते हैं और बाहर से आने वाले लोग बड़े नेताओं के रहमोंकरम पर टिकट पाकर वोट बैंक को सहयोग से अपना बनाने की कोशिश करते हैं।
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