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पशुपालकों को मुफ्त मिलेगी नैपियर घास की जड़ें, चंदौली में शुरू हुई विशेष योजना

इच्छुक किसान, महिला स्वयं सहायता समूह, एफपीओ, ग्राम पंचायतें और गैर सरकारी संस्थाएं, जिनके पास कम से कम 0.2 हेक्टेयर चारागाह भूमि है, इस योजना में भाग ले सकते हैं। चयनित लाभार्थियों को लगभग 2000 नैपियर घास की गाठें रोपण हेतु निशुल्क दी जाएंगी।
 

मुख्य पशुचिकित्साधिकारी ने दी है जानकारी

जानिए क्यों मुफ्त में दी जा रही है ये घास

जिलमें चारा बैंक बढ़ाने की पूरी तरह से हो रही तैयारी

चंदौली जिले के पशुपालकों और किसानों के लिए खुशखबरी है। प्रदेश सरकार की ‘उत्तर प्रदेश चारा नीति 2025-26’ के तहत चंदौली जिले में नैपियर घास की जड़ें (रूट स्लिप) निशुल्क वितरित की जाएंगी। इस योजना का उद्देश्य गोशालाओं और ग्रामीण पशुपालकों को पौष्टिक चारा उपलब्ध कराना है, जिससे दुग्ध उत्पादन में वृद्धि और पशुओं के पोषण स्तर में सुधार हो सके।

Cattle breeders

मुख्य पशुचिकित्साधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, निदेशक प्रशासन एवं विकास, पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा जारी निर्देशों के आधार पर इस योजना को जिले में प्रभावी रूप से लागू किया जा रहा है। इसके अंतर्गत जनपद में एक हेक्टेयर भूमि पर नैपियर घास की खेती कर "सीड बैक" तैयार किया जाएगा।

इच्छुक किसान, महिला स्वयं सहायता समूह, एफपीओ, ग्राम पंचायतें और गैर सरकारी संस्थाएं, जिनके पास कम से कम 0.2 हेक्टेयर चारागाह भूमि है, इस योजना में भाग ले सकते हैं। चयनित लाभार्थियों को लगभग 2000 नैपियर घास की गाठें रोपण हेतु निशुल्क दी जाएंगी। साथ ही निराई-गुड़ाई के लिए उन्हें अनुदान भी दिया जाएगा ताकि वे बेहतर तरीके से घास की देखभाल कर सकें।

इस योजना की सबसे खास बात यह है कि लाभार्थियों को अगले वर्ष दोगुनी संख्या में नैपियर घास की गाठें सीड बैक को लौटानी होंगी। इससे न केवल योजना की निरंतरता बनी रहेगी बल्कि हर साल लाभार्थियों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी और नैपियर घास की उपलब्धता में भी वृद्धि होगी।

जनपद में संचालित विभिन्न गोशालाओं में पौष्टिक चारे की कमी को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। चूंकि गोशालाओं में शासन से प्राप्त धन और दान के माध्यम से भूसा तो उपलब्ध हो जाता है, लेकिन हरे एवं पौष्टिक चारे की पूर्ति नहीं हो पाती। नैपियर घास की यह योजना इस कमी को दूर करने में सहायक सिद्ध होगी।

फिलहाल संबंधित अधिकारी व कर्मचारी किसानों और पशुपालकों का चयन कर उन्हें योजना से जोड़ने में जुटे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को नई ऊर्जा मिलेगी और चारा संकट की समस्या काफी हद तक हल हो सकेगी।

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