लंपी बीमारी को लेकर चंदौली जिला प्रशासन अलर्ट, बना दिया है कंट्रोल रूम, लक्षण मिलते ही करें संपर्क
जिले में पशुओं में होने वाले त्वचा रोग को लेकर अलर्टनेस
लंपी बीमारी को लेकर जिला प्रशासन अलर्ट
जानिए उसके लक्षण और बचने के उपाय
चंदौली जिले में पशुओं में होने वाले त्वचा रोग लंपी को लेकर प्रशासन अलर्ट हो गया है। जिले में बाहरी पशुओं को ले आने पर रोक लगा दी गई है। वहीं पशुपालकों की मदद के लिए कंट्रोल रूम स्थापित कर हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है।
पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को जागरूक करने की कवायद शुरू कर दी है। पशुपालकों को जरूरी सुझाव दिए जा रहें हैं। पशुओं की सही ढंग से देखभाल करने और लंपी के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल सूचित करने की अपील की जा रही है ताकि समय रहते उनका उपचार किया जा सके।
क्या होती है लंपी-
यह एक विषाणु जनित संक्रमित बीमारी है, जो गाय और भैंस में फैलती है। मक्खी, मच्छरों के काटने से बीमारी का प्रसार होता है। बीमारी से ग्रसित पशुओं को हल्का बुखार, पूरे शरीर पर जगह जगह नोड्यूल (गाठों का उभरना) दिखाई देते हैं। इसमें पशुओं की मृत्यु दर एक से पांच प्रतिशत तक होती है।
बीमारी की रोकथाम के लिए ये हैं उपाय
बीमारी से ग्रसित पशुओं स्वस्थ पशुओं से अलग रखना है। पशुओं को मक्खी, मच्छर आदि से बचाना और पशुशाला की नियमित सफाई करते रहना बेहद जरूरी है। पशुओं के शरीर में संक्रमित स्थान की दिन में कई बार फोरमेलिन, ईथर, क्लोरोफार्म अथवा एल्कोहन से सफाई करना चाहिए। संक्रमित पशुओं को संतुलित आहार व हरा चारा दें। यदि पशु की मृत्यु हो जाए तो उसे गहरा गड्ढा खोदकर दफनाएं।
कैसे रोके लंपी का संक्रमण :
आंवला, अश्वगंधा, गिलोय व मुलेठी में किसी एक की 20 ग्राम मात्रा का गुड़ के साथ लड्डू बनाएं और सुबह-शाम पशु को खिलाएं। इसके अलावा तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी, दालचीनी और सौंठ पाउडर पांच-पांच ग्राम, काली मिर्च 10 नग को गुड़ में मिलाकर सुबह शाम खिलाएं। पशुशाले में गोबर के कंडे में गूगल, कपूर, नीम के सूखे पत्ते और लोबान डालकर धुआं करें। पशुओं को नहलाने के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट और 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें। इससे स्नान के बाद पशु के शरीर को साफ पानी से धुल दें।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*