इलाज में सब कुछ बिक गया, अब दाने-दाने को मोहताज है भोखरी गांव का अशोक सिंह
प्रधानजी लाचार हैं कैसे दें आवास
हर जगह सरकार ने लगा रखा है 'ताला'
इलाज में सब कुछ बिक गया
अब दाने-दाने को मोहताज है अशोक सिंह
चंदौली जिले के कल्याणपुर ग्राम पंचायत के भोखरी गांव में एक विकलांग दाने-दाने को मोहताज है। उसे किसी योजना का लाभ सिर्फ इसलिए नहीं मिल रहा है कि सरकारी योजनाओं में नए पात्रों के चयन के लिए सरकार ने कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसके चलते न तो उसकी पत्नी मनरेगा में काम कर पा रही है और न ही उसे ग्राम पंचायत के जरिए राशन कार्ड या आवास जैसी सुविधा मिल पा रही है।
आपको बता दें कि अशोक सिंह (उम्र 30 साल) अपनी पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है। एक सड़क दुर्घटना में डेढ़ साल पहले घायल होने के बाद वह बिस्तर पर पड़ा हुआ है। इलाज के लिए उसने अपना सब कुछ बेच दिया, लेकिन वह चलने फिरने लायक नहीं बन सका। इसका नतीजा यह हुआ कि उसकी पत्नी दिन भर मेहनत करके इधर उधर से जो कुछ भी लाती है, उसी से उसका पालन पोषण होता है।
गांव में लोगों को मेहनत मजदूरी करने के लिए चल रही मनरेगा जैसी योजना का भी लाभ उसे नहीं मिल पाने के कारण उसकी आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है।
उसकी पत्नी मनरेगा में काम करना चाहती है, लेकिन वह काम नहीं कर पा रही है क्योंकि प्रधानजी मस्टररोल न बनने की बात कहा करते हैं। साथ ही कहते हैं कि उसको तब तक आवास, राशनकार्ड व मनरेगा जैसी किसी योजना का लाभ नहीं मिलेगा, जब तक उसका पोर्टल नहीं खुलेगा।
जब इस बात की जानकारी ग्राम प्रधान गौतम तिवारी को हुई तो उन्होंने अपने पास से उसको लगभग 50 किलो राशन और खाने पीने की चीजों के साथ कपड़े इत्यादि उपलब्ध तो करा दिए हैं लेकिन वह किसी सरकारी सुविधा का लाभ दिलवाने में असमर्थ हैं।
ग्राम प्रधान गौतम उर्फ विशाल तिवारी का कहना है कि वह अशोक की पत्नी का मनरेगा का जॉब कार्ड बना दिया है लेकिन मनरेगा का पोर्टल न खुलने के कारण मस्टररोल नहीं तैयार हो पा रहा है, जिसके चलते वह नियमानुसार उससे न तो काम करवा सकते हैं न ही मजदूरी का भुगतान कर सकते हैं।
ग्राम प्रधान गौतम उर्फ विशाल तिवारी का यह भी कहना है कि वह इस विकलांग को राशन कार्ड व आवास जैसी सुविधा का भी लाभ देना चाहते हैं, लेकिन नए पात्रों को चयन पर सरकार स्तर से रोक है, जब नए लाभार्थियों का चयन होगा तब उनको वरीयता मिलेगी।
पीड़ित अशोक सिंह जनप्रतिनिधियों और आला अफसरों से इस बात की गुहार लगा रहा है कि उसे किसी भी तरह की सरकारी मदद मिल जाए जिससे वह अपने छोटे-छोटे बच्चों को पाल सके।
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