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कैसे सफल होगा परिवार नियोजन का कार्यक्रम, महिला नसबंदी व पुरुष नसबंदी में आ रही कमी

जिन सीएचसी में नसबंदी के एक भी केस नहीं हुए हैं, उनकी वजह तलाशी जा रही है। साथ ही स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर नसबंदी के लिए प्रेरित करने का निर्देश दिया गया है।
 

परिवार नियोजन में वाराणसी मंडल का हाल बेहाल

वाराणसी, जौनपुर, चंदौली मिर्जापुर और गाजीपुर सहित 20 जिले पिछड़े

कई अस्पतालों में नहीं होती महिला नसबंदी

अब स्वास्थ्य विभाग चलाएगा विशेष अभियान

प्रदेश में परिवार नियोजन के विभिन्न मानकों को अपनाने के मामले में वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली, लखनऊ, गोरखपुर सहित 20 जिले पीछे हैं। प्रदेश की करीब 22 फीसदी सीएचसी में महिला नसबंदी नहीं हो रही है। जिलेवार स्थिति और गंभीर है। कई जिलों में 50 फीसदी सीएचसी में नसबंदी के एक भी केस नहीं हुए हैं। यह खुलासा हुआ है राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की रिपोर्ट में। अब इस रिपोर्ट के आधार पर चिन्हित जिलों में विशेष अभियान शुरू किया गया है।

बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से कामकाज के आधार पर वित्तीय वर्ष 2024-25 की रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक के डाटा लिए गए हैं। महिला नसबंदी, प्रसव के बाद परिवार नियोजन के साधन अपनाने के तरीके, सीएचसी और उससे उच्च अस्पतालों में हुए नसबंदी के केस सहित विभिन्न पैरामीटर के आधार पर जिलों का आकलन किया गया है। इसमें 20 जिले सबसे पिछड़े हैं। इन जिलों में लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, इटावा, सिद्धार्थनगर, जौनपुर, शामली, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली, अमरोहा, मुजफ्फरनगर, देवरिया, मैनपुरी, बलिया, सहारनपुर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, आजमगढ़, प्रतापगढ़ शामिल हैं। अब इन जिलों में विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रदेश मुख्यालय से इनकी निगरानी भी बढ़ा दी गई है। जिन सीएचसी में नसबंदी के एक भी केस नहीं हुए हैं, उनकी वजह तलाशी जा रही है। साथ ही स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर नसबंदी के लिए प्रेरित करने का निर्देश दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि इन जिलों के सभी मानकों को सुधारकर प्रदेश का ग्राफ बढाया जाए।

इन जिलों में एक भी महिला की नसबंदी नहीं
प्रदेश की 22 फीसदी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एवं इससे उच्च चिकित्सालय में महिला नसबंदी के एक भी केस नहीं हुए हैं। जिलेवार स्थिति चौकाने वाली है। इसमें सहारनपुर की 52 फीसदी, फतेहपुर, कौशांबी की 50-50 फीसदी, प्रतापगढ़ की 47 फीसदी, बलिया की 45 फीसदी, उन्नाव की 41 फीसदी, गाजियाबाद की 38 फीसदी, आजमगढ़ व मुजफ्फरनगर की 36 फीसदी और देवरिया की 35 फीसदी सीएचसी में महिला नसबंदी के एक भी केस नहीं हुए हैं। इसी तरह प्रसव के तत्काल बाद परिवार नियोजन के साधन अपनाने के मामले में 11 फीसदी सीएचसी व उससे उच्च अस्पतालों में एक भी केस दर्ज नहीं हैं।

परिवार नियोजन के मामले में सभी मानकों के आधार पर किए गए मूल्यांकन में संभल, संत कबीरनगर, श्रावस्ती, कुशीनगर, सुल्तानपुर, शाहजहांपुर, गोंडा, हमीरपुर, चित्रकूट, अंबेडकर नगर, ललितपुर, हरदोई और मऊ की स्थिति प्रदेश में उच्च रैंक पर है। ये जिले परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रमों में सबसे आगे हैं। इसी तरह प्रदेश के 20 जिले अच्छी प्रगति वाले और 20 विभिन्न मानकों को तेजी से हासिल करने वाली श्रेणी में हैं।

आगे की रणनीति काफी कठिन
कहा जा रहा है कि जिन सीएचसी अथवा उससे उच्च चिकित्सालयों में अभी तक एक भी महिला नसबंदी नहीं हुई है, उसके कारणों की पड़ताल की जाएगी। जहां सर्जन अथवा एनेस्थेटिस्ट की तैनाती नहीं है, वहां आसपास के अस्पतालों से संबद्ध किया जाएगा। नए चिकित्सकों की नियमित नियुक्ति होने अथवा एनएचएम के तहत पर तैनाती होने की स्थिति में इन सीएचसी को प्राथमिकता दी जाएगी। ऑपरेशन थियेटर व अन्य संसाधन बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है।

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