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7 गाड़ियों के भरोसे है चंदौली की आग से सुरक्षा, जानिए क्या है फायर ब्रिगेड की स्थिति

जिले की आबादी लगभग 22 लाख है। आग लगने पर बुझाने के लिए फायर स्टेशन के पास मात्र सात वाहन है । यह स्थिति तब है जब जिले में रामनगर औद्योगिक क्षेत्र, रेलवे और ऑयल कंपनियों के डिपो हैं, वहीं पहाड़ी इलाकों में भी आए दिन आग लगती रहती है।
 

 22 लाख की आबादी पर 7 गाड़ियों की सुविधा

खेतों और दुकानों में आग लगने पर होती है समस्या

कई जगहों पर बड़ी आग पर काबू पाने में होती है मुश्किल

चंदौली जिले की आबादी लगभग 22 लाख है। आग लगने पर बुझाने के लिए फायर स्टेशन के पास मात्र सात वाहन है । यह स्थिति तब है जब जिले में रामनगर औद्योगिक क्षेत्र, रेलवे और ऑयल कंपनियों के डिपो हैं, वहीं पहाड़ी इलाकों में भी आए दिन आग लगती रहती है। कृषि प्रधान जनपद में खेतों में लगने वाली आग बड़ी चुनौती है।

इसके बावजूद अग्नि शमन विभाग के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। जिले में वर्तमान में तीन फायर स्टेशन हैं, लेकिन तीनों में अग्नि सुरक्षा अधिकारी नहीं हैं। एफएसएसओ, लीडिंग फायर मैन, चालक और फायरमैन की भी कमी है। ऐसे में आग पर काबू कैसे होगा, यह सोचने वाली बात है।


चंदौली जनपद बने हुए 28 वर्ष हो चुके हैं। इसके बावजूद यहां अग्नि शमन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो सकी है। फाल्गुन मास की शुरूआत हो चुकी है और जिस तरह से मौसम का पारा तेजी से चढ़ रहा है, उससे गर्मी जल्द ही आ सकती है। इसके साथ ही आग लगने की घटनाओं में भी वृद्धि होनी तय है। यदि पिछले वर्ष में अग्नि शमन विभाग की माने तो एक जनवरी से 31 दिसंबर 2024 तक जिले में 567 स्थानों पर आग लगी थी। अग्नि शमन विभाग ने आग बुझाने के साथ ही 46 लोगों की जान बचाई। आग लगने की सौ से अधिक ऐसी घटनाएं हुई, जिसमें आग बुझने के बाद फायर बिग्रेड पहुंची। 


जिले में मुगलसराय, चंदौली और रैथा में फायर स्टेशन हैं, लेकिन किसी सेंटर पर अग्नि शमन अधिकारी नहीं हैं। वहीं संसाधनों की बात करें तो 5 हजार लीटर क्षमता के तीन वाहन के स्थान पर मात्र दो हैं। 2 हजार लीटर क्षमता के दो वाहन के एक स्थान पर हैं। विभाग के पास एफएसएसओ, लीडिंग फायर मैन, चालक, फायर मैन, कुक और सफाईकर्मी की भी कमी है।

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