बिना मान्यता के चलने वाले स्कूलों पर हाईकोर्ट की टेढ़ी नजर, सरकार को देना होगा जवाब
गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर मांगी एक्शन रिपोर्ट
अब तक की गई कार्रवाई की हाईकोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
सरकार के पास चार सप्ताह का मौका
प्रदेश सरकार के द्वारा प्रदेश भर में बिना मान्यता के चलने वाले स्कूलों पर उतनी तेजी से कार्रवाई नहीं की जा रही है, जितनी तेजी से करनी चाहिए। इसीलिए मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरे उत्तर प्रदेश में बिना मान्यता के चल रहे प्राथमिक विद्यालयों की रिपोर्ट तलब की है। प्रदेश सरकार से मांगी गयी जानकारी में कोर्ट ने पूछा है कि ऐसे विद्यालयों पर सरकार ने अब तक क्या कार्रवाई की है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि बिना मान्यता के स्कूलों का संचालन बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। लखीमपुर खीरी की एक जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति आलोक माथुर और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने यह आदेश दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को चार सप्ताह में रिपोर्ट को प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए कहा है कि सरकार को बिना मान्यता के चलने वाले स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा है।
जनहित याचिका में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 व उत्तर प्रदेश निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियम 2011 के तहत मान्यता प्राप्त किए बिना चलाए जा रहे स्कूलों पर कार्रवाई की मांग की गई है।
याची का कहना है कि बिना मान्यता वाले स्कूलों के संचालन के संबंध में प्रमुख सचिव, शिक्षा, उत्तर प्रदेश लखनऊ से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद जनहित याचिका दायर की। स्कूल हाईकोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका में उठाया गया मुद्दा पूरे राज्य के लिए प्रासंगिक है।
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