किसान हैं परेशान, न जाने क्या कर रहे हैं चंदौली जिले में बनाए गए FPO
पंजीकरण में हैं 25 से ज्यादा किसान उत्पादन संगठन
ज्यादातर एफपीओ जमीनी स्तर पर निष्क्रिय
कोई नहीं करता है इनकी मॉनिटरिंग
केवल कागजों पर दौड़ाए जा रहे FPO
चंदौली जिले में 25 से ज्यादा किसान उत्पादन संगठन (एफपीओ) बनाए गए हैं। इनमें ज्यादातर एफपीओ निष्क्रिय पड़े हुए हैं, क्योंकि न तो उनके पास विजन है और न ही उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। अधिकांश केवल कागजी या सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए बनाए गए हैं।
इसमें सदस्य बनाए गए किसानों का आरोप है कि विभागों की ओर सिर्फ फार्म मशीनरी बैंक का लाभ ही मिल पाता है। जबकि अन्य किसी योजना जिले में जैविक खेती, बीज उत्पादन, काला चावल, पशुपालन सहित कई अलग क्षेत्र में काम करने वाले 25 से अधिक एफपीओ पंजीकृत है। लेकिन इनमें से 10 से 12 एफपीओ ऐसे हैं, जो निष्क्रिय पड़े हैं। वह क्या कर रहे हैं और क्यों नहीं एक्टिव हैं, ये पूछने वाला कोई नहीं है।
इस संबंध में नौगढ़ ब्लॉक के रमेश प्रसाद मिश्र, नियामताबाद के आलोक कुमार तिवारी, चहनिया के अभय का कहना है जिले में एफपीओ पर विभागों का कोई विशेष सहयोग नहीं है। नौगढ़ सब्जी उत्पादक एफपीओ के किसानों ने बताया कि उद्यान विभाग की ओर से जो बीज मिलता है, वो महज खानापूर्ति के लिए होता है। इससे खेती सालभर पीछे हो जाती है। काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
वहीं बरहनी ब्लॉक के किसान अजय सिंह ने बताया कि कई जिलों में एफपीओ को धान खरीद के केंद्र नामित किया जाता है। लेकिन चंदौली जिले में इसके लिए कोई खास प्रस्ताव नहीं बनाए जा रहे हैं।
अधिकारियों को चाहिए कि सभी एफपीओ की हर महीने या कम से कम 3 महीने में एक बार मीटिंग करके उनकी गतिविधियों की जानकारी लें।
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