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CHC लेवल पर खुलेगा जन औषधि केंद्र, मरीजों को मिलेंगी सस्ती दवाएं

चंदौली जिले सहित प्रदेश के हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में जन औषधि केंद्र खुलेगा।
 

 अब हर CHC में खुलेगा जन औषधि केंद्र

 मरीजों को मिल सकेंगी सस्ती दवाएं व उपकरण

जिला स्तर पर तय किए गए हैं वेंडर

 जिला और विशिष्ट अस्पतालों में भी खोलने की तैयारी  

 

चंदौली जिले सहित प्रदेश के हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में जन औषधि केंद्र खुलेगा। इससे मरीजों को सस्ती दर पर जेनेरिक दवाएं और उपकरण मिल सकेंगे। केंद्र खोलने के लिए जिला स्तर पर एजेंसी तय की जा रही है। इन केंद्रों की निगरानी के लिए तंत्र भी विकसित किया जा रहा। शासन ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को नए खुलने वाले जन औषधि केंद्रों के लाइसेंस की प्रक्रिया वरीयता के आधार पर पूरी करने के निर्देश दिए हैं। 

प्रदेश में अब तक निजी क्षेत्र में करीब 2700 जन औषधि केंद्र हैं। कुछ मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पत्तालों में भी केंद्र हैं। अब राज्य सरकार ने सभी सीएएसी में जन औषधि केंद्र खोलना अनिवार्य कर दिया है। यही नहीं जिन जिला व विशिष्ट अस्पतालों में अभी ये केंद्र नहीं हैं, वहां भी ये केंद्र खोले जाएंगे। 

प्रदेश में अभी 108 जिला व संयुक्त अस्पताल, 259 विशिष्टि अस्पताल और 972 सीएचसी हैं। 3735 प्राथमिक और ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र भी हैं। स्टेट एजेंसी फॉर कंप्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विस (साचीज) ने पहले चरण में सभी सीएचसी को मिलाकर 1110 जन औषधि केंद्र खोलने की तैयारी की है। मई के अंत तक इन सभी केंद्रों को शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया में बदलाव किया गया है। 

जन औषधि केंद्रों के लिए मंडल के बजाय जिला स्तर पर वेंडर चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। संबंधित वेंडरों को आवंटित स्थलों के लिए भारतीय औषधि एवं चिकित्सा उपकरण ब्यूरो (पीएमबीआई) पोर्टल पर आवेदन करने का निर्देश दिया गया है। वेंडर की यह जिम्मेदारी होगी कि आवंटित अस्पताल के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग से लाइसेंस भी प्राप्त करे। केंद्र आवंटन के बाद 15 दिन में दवाएं उपलब्ध नहीं होने पर संबंधित वेंडर पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। 


जन औषधि केंद्र के लिए सभी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएचसी में 120 स्क्वायर फीट परिय एरिया तय किया गया है। इन केंद्रों की निगरानी संबंधित अस्पताल के अधीक्षक के साथ ही सीएमओ और मंडलीय अपर निदेशक करेंगे। वे केंद्र संचालन के नियमों के अनुसार दवा व उपकरण की उपलब्धता देखेंगे। यह भी जांच करेंगे कि जेनेरिक के बजाय किसी दूसरी कंपनी की दवा तो नहीं बिक रही है। ब्रांडेड दवा बेचने पर जुर्माना लगाने के साथ ही उन्हें प्रतिबंधित भी किया जाएगा। 


1110 जन औषधि केंद्र शुरू करने का लक्ष्य 
साचीज मुख्य कार्यपालक अधिकारी अर्चना वर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के जरिये आमजन को सस्ती दर पर गुणवत्तापरक, नॉन-ब्रांडेड जेनेरिक औषधियां उपलब्ध कराना है। सभी सीएचसी सहित 1110 जन औषधि केंद्र इस माह शुरू करने का लक्ष्य है। केंद्रों के संचालन के लिए चयनित वेंडर, सीमओ, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों तथा भारत सरकार की संस्था बीएमबीआई से समन्वय किया जा रहा है। 

 
ब्रांडेड व जेनेरिक दवाओं में अंतर 
प्रदेश अध्यक्ष फार्मेसिस्ट फेडरेशन सुनील यादव ने बताया कि कोई भी दवा सॉल्ट यानी केमिकल कंपोजिशन से बनती है। इसी सॉल्ट को जब कोई कंपनी कैप्सूल या दवा के रूप में तैयार करती है तो उसे अपने ब्रांड के नाम से बेचती है। ये ब्रांडेड दवा कहलाती है। जिन दवाओं को बिना ब्रांड के सीधे सॉल्ट अथवा स्पेशल जेनेरिक के रूप में बेचा जाता है, उसे जेनेरिक करते हैं। ब्रांडेड कंपनी किसी फॉर्मूलेशन का पेटेंट करीब 20 साल के लिए कराती है। इस बीच वह शोध करती है। 20 साल बाद वही दवा जेनेरिक के रूप में बाजार में आ जाती है। 


निजी क्षेत्र में भी बढ़ेंगे जन औषधि केंद्र 
अभी निजी क्षेत्र में करीब 2700 जन औषधि केंद्र हैं। इन केंद्रों पर दवा की मांग बढ़ रही है। ऐसे में निजी क्षेत्र में भी केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके लिए प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के पोर्टल पर जाना होगा। वहां जिस इलाके में केंद्र खोलने का प्रस्ताव है, उसे देखकर आवेदन करना होगा।

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