अब ऐसे सुधरेगी यूपी की कानून-व्यवस्था, DGP ने 21 आईपीएस अफसरों को दी खास जिम्मेदारी

DGP राजीव कृष्णा ने 15 दिन में कार्य योजना बनाने का दिया निर्देश
महिला सुरक्षा, साइबर क्राइम
ट्रैफिक, तकनीकी सेवाएं और जनशिकायत निस्तारण पर विशेष फोकस
समीक्षा के बाद प्रदेश में चरणबद्ध ढंग से होगी लागू
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश की कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ और अपराध नियंत्रण को प्रभावी बनाने के लिए डीजीपी राजीव कृष्णा ने 21 आईपीएस अधिकारियों को अलग-अलग विषयों की जिम्मेदारी सौंपी है। इन अधिकारियों को 15 दिन के भीतर अपनी-अपनी कार्य योजना तैयार कर प्रस्तुत करनी होगी।

इन 21 अफसरों में से 10 अधिकारी पुलिस मुख्यालय में तैनात हैं और 11 अधिकारी फील्ड पोस्टिंग पर हैं। कार्ययोजना तैयार होने के बाद डीजीपी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी अधिकारियों से विस्तृत चर्चा करेंगे। योजनाओं की समीक्षा के बाद जो प्रस्ताव व्यावहारिक व प्रभावशाली पाए जाएंगे, उन्हें प्रदेश भर में लागू किया जाएगा।

अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत एडीजी क्राइम एसके भगत और एडीजी वाराणसी जोन पीयूष मोर्डिया को रोडमैप तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। महिलाओं के सशक्तीकरण और सुरक्षा को लेकर एडीजी डब्ल्यूसीएसओ पद्यमा चौहान और एडीजी आगरा जोन अनुपम को जिम्मेदारी दी गई है।
साइबर अपराध से निपटने के लिए एडीजी विनोद कुमार सिंह और नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह को नामित किया गया है। कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश और एडीजी कानपुर जोन आलोक सिंह को कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया है।
बेहतर पुलिस सेवाओं के लिए एडीजी तकनीकी सेवाएं नवीन अरोरा, एडीजी मेरठ भानु भास्कर, पुलिस कल्याण के लिए डीजीपी भवन व कल्याण आरके भारद्वाज, पुलिस कमिश्नर आगरा दीपक कुमार और यातायात व्यवस्था के लिए एडीजी ट्रैफिक के. सत्यनारायण को टीम में शामिल किया गया है।
इसके अलावा एडीजी वाराणसी मोहित अग्रवाल सहित अन्य अधिकारियों को भी विभिन्न प्राथमिकताओं जैसे प्रशिक्षण, जनशिकायतों के निस्तारण, प्रोद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के प्रयोग जैसी जिम्मेदारियां दी गई हैं।
अधिकारियों से उनकी रुचि और विशेषज्ञता के अनुसार फीडबैक लेकर जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि योजना ज्यादा व्यावहारिक और ज़मीनी स्तर पर प्रभावी हो सके। यह पूरी रणनीति उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था और जनता के प्रति पुलिस की जवाबदेही को नई दिशा देने का प्रयास है।
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