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आगाज में ही फेल हो गयी 'सांसद खेल स्पर्धा' की परिकल्पना, इन कमियों पर नहीं गयी किसी की नजर

चंदौली जिले के बरहनी ब्लॉक से सांसद खेल स्पर्धा के नाम से खेलकूद की प्रतियोगिता का शुभारंभ सांसद व कैबिनेट मंत्री के हाथों कराने की योजना बनाकर इसलिए तैयारी की गयी
 

'सांसद खेल स्पर्धा' की परिकल्पना

इन कमियों पर नहीं गयी किसी की नजर

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 'सांसद खेल स्पर्धा' की परिकल्पना अपने मन में सोची होगी तो उन्होंने यह सोचा होगा कि अगर हर सांसद अपने इलाके में ईमानदारी के साथ इस खेल प्रतियोगिता का आयोजन कर आएगा और खिलाड़ियों की प्रतिभा को पहचानते हुए जिले स्तर तक ले जाने की कोशिश करेगा तो उससे लोगों में खेल के प्रति रुचि बढ़ेगी और खिलाड़ियों का सम्मान बढ़ेगा और यह खिलाड़ी जिले से प्रदेश स्तर पर और प्रदेश से राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए उत्साहित होंगे। उनका यही उत्साह देश को ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर खेल प्रतियोगिताओं में मेडल दिलाने का कार्य करेगा, लेकिन उनके सांसदों ने इस कार्यक्रम को कितनी गंभीरता से लिया है और किस तरह से इस को आगे बढ़ाया है इसका नजारा आप चंदौली जिले में जरूर देख सकते हैं।

चंदौली जिले के बरहनी ब्लॉक से सांसद खेल स्पर्धा के नाम से खेलकूद की प्रतियोगिता का शुभारंभ सांसद व कैबिनेट मंत्री के हाथों कराने की योजना बनाकर इसलिए तैयारी की गयी कि सांसद जी को समय से मौके पर पहुंचने व कार्यक्रम के आयोजन में खेल विभाग को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन मामला मंत्रीजी की प्राथमिकता के कारण पलट गया। वह सांसद खेल स्पर्धा के शुभारंभ में नहीं, बल्कि शाम को उसके समापन में पहुंचे। दिन में सांसद प्रतिनिधि व अन्य स्थानीय नेताओं नें आनन-फानन में सांसद खेल स्पर्धा के शुभारंभ की कोरम पूर्ति करते नजर आए। 


कहा जा रहा है कि चंदौली जिले में सांसद के हाथों शुभारंभ कराने की नीयत से आनन-फानन में सांसद खेल स्पर्धा का आयोजन बरहनी में किया जा रहा था। ब्लॉक स्तरीय आयोजन में स्थानीय खेल विभाग के अफसरों के साथ साथ ब्लॉक के बीडीओ व तहसील के उपजिलाधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी और प्रतिभागियों को मिलने वाले सर्टिफिकेट पर इनके हस्ताक्षर होने थे। कहा जा रहा है कि आधी अधूरी तैयारी व तमाम तरह के तामझाम के बीच सांसद खेल स्पर्धा का शुभारंभ तो कर दिया किया गया, लेकिन वहां की कमियों पर किसी माननीय या अफसर का ध्यान नहीं गया। इस दौरान काफी कमियां भी देखने को मिलीं। 

कुश्ती के अखाड़े की तैयारी

सांसद खेल स्पर्धा में लापरवाही का आलम कुछ इस प्रकार था कि पहले तो आनन-फानन में इसी तरह बाहर की मिट्टी लाकर दंगल के अखाड़े का तैयार किया गया। भला हो ब्लॉक के दो दर्जन सफाईकर्मिययों का, जो इसके ठीक करने में पसीना बहाते देखे गए। वहीं इस तैयारी के बाद विभाग के लोग इस स्पर्धा को किसी तरह से पूर्ण कराने में जुटे रहे लेकिन सारी स्पर्धा खत्म होने के बाद मंत्रीजी व अन्य माननीयों के हाथों जो प्रमाण पत्र बांटे गए वहां पर किसी की पैनी नजर नहीं पहुंची। इस पर खेल विभाग से जुड़े अफसर के अलावा किसी ने हस्ताक्षर करना उचित नहीं समझा..या खेल विभाग के लोगों ने नाम छापने के बाद खंड विकास अधिकारी व तहसील के उपजिलाधिकारी के उचित सहयोग न मिलने से उनका ऑटोग्राफ लेना मुनासिब नहीं समझा। क्या सच्चाई है यह तो साहब लोग ही बता पाएंगे।

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प्रमाण पत्र आधे अधूरे हस्ताक्षर

 आनन-फानन में यह प्रमाण पत्र आधे अधूरे हस्ताक्षर के साथ बच्चों को देकर इस स्पर्धा को सकुशल संपन्न कराने का दावा कर दिया गया। आप प्रमाण पत्र को देखकर खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस के क्षेत्र में स्पर्धा आयोजित हुई वहां के अधिकारीगण के नाम व हस्ताक्षर आखिर क्यों गायब रहे। यह खेल अफसरों व जिले के अधिकारियों के लिए कागज का टुकड़ा हो सकता है, लेकिन खिलाड़ियों के लिए प्रमाणपत्र और उसकी मेहनत का पुरस्कार है, जिसे सम्मान व सही तरीके से दिया जाना चाहिए था। 

 आपको बता दें कि इस प्रतियोगिता का शुभारंभ जिले के सांसद व भारत सरकार के मंत्री डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय के कर कमलों से होना था। केन्द्र सरकार के मंत्री का बड़ा प्रोटोकॉल व ओहदा होता है, उसके कार्यक्रम के सफल या असफल आयोजन से उसके नाम पर भी सवाल उठता है। हालांकि यह तो सांसद खेल स्पर्धा थी, जिसकी सफलता व असफलता से सांसद की ही तारीफ या बदनामी होगी। ब्लाक के खिलाड़ियों को जिले के खिलाड़ियों में ले जाने के लिए आधे अधूरे मन ये इस आयोजन को कराकर खिलाड़ियों के मन को दुखी करने का काम किया गया है।

यह जानकारी केवल नकारात्मकता दिखाने के लिए नहीं लिखी गयी है..इसका उद्देश्य है कि आगे के आयोजनों में इसका ध्यान जरूर रखा जाएगा।

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