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किसानों के लिए खेती होगी आसान, अब खेतों में होगा AI का प्रयोग, 40 फीसदी बढ़ेगा मुनाफा

किसानों को खेती करने में अब आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) मदद करेगा। उन्हें मौसम की स्थिति, फसलों को बीमारी से बचाव के तरीके, उपज के खरीदार और सर्वाधिक भाव देने वाली मंडी के बारे में चैट बॉक्स और एप के जरिये जानकारी मिलेगी।
 

किसानों को चैट बॉक्स और APP के जरिये मिलेगा समस्या का समाधान

तैयार हो रहा है कृषि डाटा बैंक

जुलाई से 5 जिलों से होगी शुरुआत

किसानों को खेती करने में अब आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) मदद करेगा। उन्हें मौसम की स्थिति, फसलों को बीमारी से बचाव के तरीके, उपज के खरीदार और सर्वाधिक भाव देने वाली मंडी के बारे में चैट बॉक्स और एप के जरिये जानकारी मिलेगी।

आपको बता दें कि इसके लिए विश्व बैंक की टीम कृषि और उससे जुड़े अन्य विभागों का डाटा बैंक तैयार कर रही है। प्रदेश के पांच जिलों में जुलाई के बाद इसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू करने की तैयारी है। कृषि विशेषज्ञों का दावा है कि इससे किसानों को करीब 40 फीसदी तक फायदा मिलेगा।

बताते चलें कि प्रदेश के करीब तीन करोड़ से अधिक किसानों की आजीविका का मूल स्रोत खेती है। सरकार कृषि और उससे जुड़े मत्स्य पालन, पशुपालन, मौन पालन सहित अन्य कारोबार का डाटा बैंक तैयार कर रही है। डिजिटल सर्वे हो चुका है। फॉर्मर रजिस्ट्री के जरिये किसानों के खेत का रकबा, बोई जाने वाली फसल आदि का ब्योरा तैयार किया जा रहा है।

इससे जियो टैगिंग भी हो जाएगी। इसी क्रम में अब खेती में एआई तकनीक को अपनाने की तैयारी है। इससे किसानों को एक ही प्लेटफार्म पर कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी। विश्व बैंक में डिजिटल एग्रीकल्चर एंड इनोवेशन के ग्लोबल लीड परमेश शाह ने बताया कि कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों का डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है। एआई के जरिये चैट बॉक्स बनाया जाएगा।

इस पर किसान सवाल पूछ कर समस्या का समाधान कर सकेंगे। अगले चरण में एप विकसित किया जाएगा। इसमें हिंदी, अंग्रेजी के साथ भोजपुरी में किसान सवाल-जवाब कर सकेंगे। 


वाराणसी सहित इन जिले से होगी शुरुआत

पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस प्रयोग की शुरुआत मथुरा, वाराणसी, गोरखपुर, झांसी और बांदा जिलों से करने की तैयारी है। इसमें किसानों के फीडबैक के आधार पर सुधार किया जाएगा। फिर चरणवार इसे अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा। अगर किसी किसान को आलू की खेती करनी है तो वह चैट बॉक्स पर लिखकर अथवा बोलकर अपनी मिट्टी के अनुसार यह जान सकेगा कि आलू की कौन प्रजाति बोना उचित रहेगा और उसे यह कहां से मिलेगा?


 

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