चंदौली जिल में एक सितंबर से राष्ट्रीय पोषण माह शुरू हो चुका है। इसके तहत कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जिले की गर्भवती एवं बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए खास प्रयास कर रही हैं। इस हफ्ते आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषण वाटिका विकसित जा रही है। इस पहल से गर्भवती व बच्चों को लाभ मिलेगा। यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी राम प्रकाश मौर्या का।
डीपीओ राम प्रकाश मौर्या ने कहा कि जनपद में 1823 आंगनबाड़ी केंद्र व 1715 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण वितरण कर सभी को पोषण के प्रति जागरूक कर रही हैं। जिसके तहत जिले में 0-5 वर्ष तक के कुल 1,81,034 बच्चे हैं। बच्चे वजन के अनुसार तालिका से चिंहित हरी श्रेणी (सामान्य) में 180163 बच्चे, पीली क्षेणी(आंशिक कुपोषित) में बच्चों संख्या 5282 के साथ लाल श्रेणी (अतिकुपोषित) बच्चों की संख्या 958 है। लंबाई के अनुसार वजन तालिका से चिन्हित सैम बच्चों की संख्या 188 है, वहीं मैम बच्चों की संख्या 683 है| जिसके साथ जिले में कुल 38348 गर्भवती व धात्री महिलायें हैं।
पोषण माह अभियान को प्रभावी बनाने के लिए जन-जागरूकता व सामुदायिक सहयोग के द्वारा अति-कुपोषित बच्चों, किशोरियों व महिलाओं को आंगनवाड़ी केंद्र, विद्यालयों, शासकीय परिसरों एवं सामुदाय को जागरूक करना है, जिससे समुदाय को कुपोषण मुक्त किया जा सके। लगभग दो साल से देश गंभीर परिस्थिति से गुजर रहा है जिसमें सभी का दायित्व है कि ऐसे दौर में जन आंदोलन की तरह पोषण माह दिवस के मध्यम से जागरूक कर बीमारी और कुपोषण से बचाया जा सके और कुपोषित मुक्त भारत का निर्माण किया जा सके।
डीपीओ राम प्रकाश मौर्या ने बताया राष्ट्रीय पोषण माह अभियान के अंतर्गत जनपद के विकास खंडों में विभिन्न ग्राम सभा के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा बड़े धूमधाम से पौधरोपण का कार्यक्रम मनाया गया। इसमें गर्भवती व धात्री महिलाओं के तथा कुपोषित बच्चों के घरों में पौष्टिक सब्जियों, फलों के पौधों का रोपण किया गया। जिसमें ग्रामीणों द्वारा भी बड़ी संख्या में सहभागिता की गयी। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम लाभार्थियों के परिवारों को किचेन गार्डन यानि पोषण वाटिका के महत्व को भी बताया गया ।
उनके घरों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों के परिसर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा पौष्टिक सब्जियों में सहजन, तरोई लौकी,नींबू आंवला आदि के पौधों का रोपण कार्य किया गया। ताकि घर पर पौष्टिक सब्जियों तथा फलों का लाभ गर्भवती व धात्री महिलाओं तथा बच्चों को बहुत की कम लागत में मिल सके । लाभ एवं इसके बनाने के तरीके को भी बताया गया। जिससे जिले को शत-प्रतिशत कुपोषण मुक्त किया जा सके।
सितंबर माह पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा, पहले पखवाड़े में महिला एवं बाल कल्याण विभाग और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग मिलकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा और एएनएम के सहयोग से मिलकर छह वर्ष तक के बच्चों की लंबाई और वजन की जांच अभियान की शुरुवात की गई । पोषण माह पखवाड़ा के पहले सप्ताह में एक से सात सितंबर तक पौधा रोपण अभियान के तहत पोषण वाटिका तैयार की जाएंगी।
गर्भवती को बेहतर पोषण के प्रति जागरूक करने के लिए कई अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। गर्भवती के लिए कोविड टीकाकरण कार्यक्रम भी चलाया जाएगा। पोषण माह का दूसरा सप्ताह में पोषण के लिए योगा और आयुष के महत्व की जानकारी दी जाएगी । बेहतर स्वास्थ्य के लिए योगा औए पोषण के लिए आयुष में उपलब्ध विकल्पों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही गर्भवती, स्कूली बच्चों और किशोरियों के लिए योगा सत्र आयोजित किए जाएंगे। गर्भवती के लिए पोषणयुक्त भोजन हेतु रेसिपी प्रतियोगिता आयोजित की जाएंगी।
तीसरा सप्ताह में पुष्टाहार का वितरण किया जाएगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा घरेलू साग सब्जी के पोषक तत्व युक्त भोजन को लेकर जागरूक करेंगी और महीने के चौथे सप्ताह में ब्लॉक वार सैम-मैम बच्चों को चिन्हित कर उन्हें नजदीकी चिकित्सालय की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, साथ ही जन जागरूक कर कुपोषित बच्चों पर ध्यान देने एवं उन्हें केंद्र तक लाने साथ ही पोषण योजना के साथ जोड़ने के लिए जागरूक किया जायेगा।
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