कभी अलीनगर सकलडीहा मार्ग पर भी चेकिंग करिए ट्रैफिक इंस्पेक्टर साहब, केवल फोटो मत खिचवाइए

जिले की सारी सड़कों पर करिए चेकिंग
खटारा ऑटो बन रहे मौत की सवारी
ओवरलोडिंग से खतरे में राहगीरों की जान
आप भी देख लीजिए वीडियो
चंदौली जिले जनपद के अलीनगर-सकलडीहा मार्ग पर इन दिनों ओवरलोड खटारा ऑटो की भरमार है। अपनी मंज़िल तक पहुँचने की जल्दबाज़ी में राहगीर जान की परवाह किए बिना जानलेवा सवारी करने को मजबूर हैं। रोजाना सकलडीहा के मटकुट्टा ओवरब्रिज पर ऐसे दृश्य आम हो चुके हैं, जहां यात्री ऑटो की छत पर बैठे नजर आते हैं और ऑटो में भी पीछे या किनारे लटककर यात्रा करने को मजबूर हैं, क्योंकि आटो वाले क्षमता से अधिक सवारी बैठाए बिना आगे ही नहीं बढ़ते हैं।

अलीनगर सकलडीहा मार्ग पर आजकल यातायात पुलिस की नजर नहीं पड़ती है, तभी तो वहां पर मनमाने तरीके से ऑटो और निजी वाहन चालक सवारियों को बैठाकर जानलेवा सफर पर ले जाते हैं। इन सवारी गाड़ियों और ऑटो में मासूम बच्चे और महिलाओं को ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है, शिकायत करने पर ऑटो वाले लड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं, जिसे लोग मजबूरी में जान जोखिम में डालकर यात्रा करते हैं।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन ऑटो में महिलाएं और मासूम बच्चे भी भेड़-बकरियों की तरह ठूंसे होते हैं। इस सड़क ट्रैफिक पुलिस की उपस्थिति नाम मात्र की है। यातायात वाले केवल मुगलसराय से चंदौली वाले हाईवे या मुगलसराय कस्बे में अपना अभियान चलाते हैं। यातायात माह या यातायात सप्ताह भी इन इलाकों में भूलकर नहीं मनाया जाता है, ताकि यहां के लोगों को संवेदनशील बनाया जा सके।

हर दिन लंबी चौड़ी चालान व जागरूकता कार्यक्रम के बाद भी अलीनगर सकलडीहा मार्ग पर अक्सर ऐसे नजारे देखे जा सकते हैं। ऐसी ही हरकतों से छोटे-बड़े हादसे होते हैं, तब जाकर पुलिस व प्रशासन की आंख खुलती है। तब कार्रवाई का सिलसिला शुरू होता है। तभी कुछ दिनों तक जागरुकता दिखती है। साल के बाकी दिनों में न सवारियां सुधरती हैं, न ही चालकों को कोई फर्क पड़ता है।
जब स्थानीय पत्रकार द्वारा जब एक ओवरलोड ऑटो को रोका गया और चालक से सवाल किया गया, तो उसने कहा कि उसे नहीं पता कि सवारी ऊपर कैसे बैठ गईं, जबकि हकीकत यह थी कि ड्राइवर की अगली सीट पर चार लोग, पीछे सात सवार और छत पर बैठा मंजिल तक लेकर जा रहा था।
ऐसे हालात में अलीनगर सकलडीहा मार्ग पर भी ट्रैफिक पुलिस को सक्रिय होने की जरूरत है। तभी पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे के द्वारा चलाए जा रहे अभियान का फर्क महसूस होगा। नहीं तो मनमाने गाड़ी वाले ऐसे ही लोगों की जान जोखिम में डालकर सवारी ढोते रहेंगे।
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