दरोगा व सिपाही जी को बिना मास्क व हेलमेट वाले दिख जाते हैं पर ये ट्रक नहीं दिखते
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एक पुरानी कहावत है कि… ‘मूंदहु आंख कतौं कछु नाहीं…’…यह कहावत चंदौली जिले की अलीनगर, सकलडीहा व बलुआ पुलिस के उपर सटीक बैठती है। मामला साफ है या तो इन थानों की पुलिस दिन में सड़कों पर नहीं निकलती है या अगर निकलती भी है तो इनकी आंखों के उपर इन भारी भरकम गाड़ियों के चलवाने वाले लोगों की नोटों का ऐसा चश्मा लगा होता है कि इनको बिना हेलमेट व मास्क के सड़कों पर जा रहे बाइक सवार तो दिख जाते हैं पर ये ट्रकें नहीं दिखती हैं।
आप आपको यह बताने की जरूरत नहीं है कि आखिर क्यों नहीं दिखती और क्यों नहीं देखना चाहते…यह चंदौली जिले के 90 फीसदी लोग तो जानते ही हैं, जो 10 फीसदी नहीं जानते हैं..शायद उनको बताने के लिए यह खबरें लिखी जाती हैं। उनमें चंदौली जिले के पुलिस व प्रशासन के अफसर शामिल होते हैं और कुछ सत्ताधारी व विपक्षी दल के नेता होते हैं, जो जनता की सेवा व मदद का चौबीसों घंटे गाना तो जरूर गाते हैं पर करते उसका केवल 5 या 10 फीसदी ही हैं।
हो सकता है कि यह बात पढ़कर कुछ लोगों को बुरा लगे इसीलिए प्रमाण स्वरूप फोटो भी दे रहे हैं, जो बताने के लिए काफी है कि सड़क पर यह गाड़ी कब जा रही होगी। यह देखकर पता तो चल रहा होगा कि यह तस्वीर रात दस बजे से सबेरे पांच बजे वाली तो नहीं ही है। तो आप पूछेंगे कि जब जिले में नो इंट्री की सबेरे 5 बजे से 10 बजे रात का फरमान चंदौली के सांसद, मंडल के कमिश्नर व जिले के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक कह चुके हैं तो आखिर लागू क्यों नहीं होता है। इसका भी जवाब जिले की आधे से अधिक जनता को पता होगा फिर भी बाकी आधे लोगों के लिए लिखकर बताना जरूरी है।
आप तो अक्सर लोगों को यह कहते या बोलते हुए सुना होगा कि नियम तो तोड़ने के लिए बनाए जाते हैं..जितना अच्छा नियम उतना ही तोड़ने वाला बहादुर। यह तोड़ते देखते रहने और चुप रहने का उतना ही अधिक दाम होता है…साहब..इसीलिए नियम तोड़े जाते हैं। दाम ले लिया तो कौन सा नियम ..कहां का नियम..किसका आदेश …कैसा आदेश ..सब कुछ चौक चौराहे पर घूमने वाले कारखासों व नियम तोड़ने वालों की मौखिक डील पर निर्भर होता है, जिसे थाने व चौकी का कोई दरोगा व सिपाही देखकर भी कुछ नहीं कर सकता..क्योंकि वह जानता है कि गाड़ी आगे तभी जा रही है जब साहब लोगों की मर्जी है। रोकने पर वह खुद नप सकता है। तो वह ड्यूटी पर होता तो है पर देखता कुछ नहीं है…और करता भी कुछ नहीं।
चन्दौली जिले में पुलिस, परिवहन व खनन विभाग की मिलीभगत भले न कहें पर लापरवाही से यह खेल जारी है..आप दिन में सड़क पर निकलते होंगे तो देखते व महसूस करते भी होंगे। सुबह 5 बजे लगने वाली नो इंट्री के बावजूद कैसे ओवरलोड ट्रकों का आगवमन दिन में 10 बजे के बाद भी निरन्तर जारी रहता है। जिससे पूछोगे वह बगल वाले थाने व पुलिस पर जिम्मेदारी धकेल देगा। अलीनगर पुलिस व सकलडीहा पुलिस के साथ साथ बलुआ पुलिस के मामले में तो ऐसा ही होता है। नो इंट्री में भारी भरकम ट्रकों के आवागमन से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह बात जनता को समझ में आती है पर कहें तो किससे तो क्या करें…इसलिए चुपचाप धूल धक्कड़ सहते चुपचाप ऑफिस या घर चले जाते हैं।
बलुआ व सैदपुर पुल पर चलने के लिए जिलाधिकारी चन्दौली द्वारा रात्रि 10 बजे से सुबह 5 बजे तक ही चलने का आदेश जारी किया गया है। इसके पालन की जिम्मेदारी पुलिस पर ही है। पर पुलिस नेताओं के फोन व पैरवी से परेशान है या फिर वही बात है..जो आप भी जानते हैं।
सुबह 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक नो इंट्री के बहाने दोनो पुलों पर नो इंट्री का बैरियर लगाया गया है, जहां से गाड़ियां पास तो नहीं होती हैं पर वहां तक पहले जाने के लिए इलाके के पपौरा से लेकर मारूफपुर, तीरगावां तक जगह जगह ये ट्रक संचालक आधा मार्ग की पटरी कब्जा कर खड़े रहते हैं ।
सिंगल व क्षतिग्रस्त मार्ग पर आधे कब्जे से भीषण जाम की समस्या भी होती है, जिसे लोग हंसी खुशी झेल भी लेते हैं। जिसके चलते कभी कभार एक्सीडेंट भी होता है और चक्काजाम भी होता है..पर दारोगा जी कार्रवाई की बात व मुकदमे की धमकी देकर जाम तो हटवा देते हैं पर उसके असली कारण पर कुछ नहीं करते।
अब जनता में बयानबीर लोग हैं तो इस तरह की बात सुनकर तत्काल बयान दे ही देते हैं..सरकार व प्रशासन को चेतावनी भी दे देते हैं..नहीं कुछ होता तो इसे लेकर आक्रोश जता देते हैं।
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