अमड़ा गांव में भव्य रामलीला का मंचन, जानिए किसने किया किसका रोल
अमड़ा गांव में रामलीला की 75वीं वर्षगांठ
जानिए किसने किया किसका रोल
संगीतमय रामलीला से दर्शक हुए खुश
चंदौली जिले के अंतर्गत ग्राम सभा अमड़ा में श्री रामलीला समिति अमड़ा द्वारा रामलीला का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ श्री रामलीला समिति अमड़ा के संस्थापक स्वर्गीय कृष्ण पाठक एवं स्वर्गीय भगवती सिंह जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए प्रभु श्री राम की वंदन पूजन से प्रारंभ किया गया।
इस वर्ष श्री रामलीला समिति अमड़ा द्वारा रामलीला मंचन की 75 वीं वर्षगांठ द्वारा हीरक जयंती समारोह के रूप में हर्षोल्लास पूर्वक मनाई गई। श्री रामलीला समिति अमड़ा द्वारा रामलीला का प्रारंभ स्वतंत्रता वर्ष सन 1947 ईस्वी से अनवरत हो रहा है।
इस अवसर पर श्री रामलीला समिति अमड़ा द्वारा कोविड-19 इन के नियमों का पूर्णतया पालन करते हुए रामलीला के विभिन्न दृश्यों का मंचन किया गया। इस शुभ अवसर पर धनुष यज्ञ मंचन में राजा जनक ने स्वयंवर में प्रण रखा की धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने वाले से सीता का विवाह कराया जाएगा। इसके बाद रावण बाणासुर में वाक युद्ध प्रारंभ होता है। रावण बाणासुर दोनों ही धनुष को नहीं तोड़ सके। समस्त उपस्थित राजाओं ने बारी-बारी से धनुष को तोड़ने की कोशिश की लेकिन वह धनुष को हिला भी ना सके। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से श्री राम के धनुष को तोड़ते ही वरमाला सीता जी प्रभु श्री राम को पहनाई । धनुष टूटने पर परशुराम जी क्रोधित हो उठते हैं। इस पर श्री राम के अनुज श्री लक्ष्मण जी ने परशुराम जी से कहा कि यह धनुष स्पर्श करते ही टूट गया, इसमें हमारा क्या दोष है। प्रभु श्री राम श्री परशुराम जी से विनय पूर्वक कहते हैं कि बालक की बातों पर ध्यान ना दें और इसे क्षमा करें। जिस पर परशुराम जी श्री राम जी को धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने को कहते हैं। श्री राम जी द्वारा धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाते ही परशुराम जी का भ्रम टूट गया और वह तपस्या करने हेतु चले गए।
इस अवसर पर श्री राम की भूमिका का निर्वहन कर रहे पात्र हरिओम पाठक में धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर दर्शकों को अपने अभिनय से मंत्रमुग्ध कर दिया। वही लक्ष्मण की भूमिका ऋषभ सिंह, परशुराम की भूमिका में परंतु यादव, जनक की भूमिका में विशाल सिंह,साधु राजा की भूमिका में आकाश सिंह, दुष्ट राजा की भूमिका में दिग्विजय सिंह, रावण की भूमिका में दयाशंकर, विश्वामित्र की भूमिका में मृत्युंजय सिंह, संतानंद की भूमिका में विष्णु ,बाणासुर की भूमिका में राजकुमार ने मंच पर सहयोग प्रदान किया। पात्रों के मंचन से मंत्रमुग्ध होकर दर्शकों को साक्षात अयोध्या के दर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर संजय सिंह, अनिल सिंह, शिवानंद सिंह, शिवकांत सिंह, अंकित सिंह, पप्पू जायसवाल आदि लोग सैकड़ों की संख्या में उपस्थित रहे। व्यास एवं निर्देशक की भूमिका में बलराम पाठक और यशवंत पाठक ने संयुक्त रूप से अविस्मरणीय योगदान दिया।
चंदौली जिले की खबरों को सबसे पहले पढ़ने और जानने के लिए चंदौली समाचार के टेलीग्राम से जुड़े।*