अब गरीब बच्चों की अच्छी पढ़ाई के साथ खेल कर रही है सरकार , यह है आपत्ति
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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आरटीई एक्ट (RTE ACT) में परिवर्तन कर अलाभित गांव के गरीब बच्चों को आधुनिक शिक्षा से वंचित करने का आरोप लग रहा है। पूर्व में गरीब बच्चे नजदीकी कान्वेंट विद्यालयों में नामांकन करा कर सुविधा संपन्न परिवार के बच्चों के साथ हाईटेक शिक्षा ले रहे थे, लेकिन अब 4 जून 2020 के नियम परिवर्तन के बाद ग्राम सभा के अतिरिक्त किसी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने पर रोक लग गई है।
इस संबंध में सकलडीहा ब्लाक के अमावल गांव के जन सूचना अधिकार कार्यकर्ता डॉ0 दयाशंकर आर्य ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा माफियाओं के दबाव में आकर गरीब जनता के साथ छलावा किया है।
आर टी ई एक्ट में 4 जून 2020 से परिवर्तन करके ग्राम सभा के ही मान्यता प्राप्त कॉन्वेंट विद्यालयों में ही गरीब बच्चे निःशुल्क शिक्षा ले सकते है। पहले घर के नजदीकी कान्वेंट विद्यालयों में नामांकन कराकर सुविधा सम्पन्न बच्चों के साथ निःशुल्क शिक्षा लेने का प्रावधान था। कान्वेंट विद्यालयों की 25% प्राथमिक कक्षाओं की सीट अलाभित बच्चों को निःशुल्क शिक्षा ग्रहण करने के लिए आरक्षित है। जिसके लिए सरकार कापी किताब के लिए जहाँ अविभावकों को पैसा देती है वहीं स्कूल का फीस भी भरती है।
आरटीआई कार्यकर्ता का आरोप है कि इस नियम परिवर्तन से अब ग्राम सभा के अंदर जो कॉन्वेंट विद्यालय होंगे उन्हीं में उस गांव के बच्चे नामांकन ले सकते हैं। यह पूरी तरह से गरीबों के साथ छलावा किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सभी ग्राम पंचायतों में कन्वेंट विद्यालय नहीं हैं, केवल शहरी इलाकों में ही इसे व्यापार की दृष्टि से खोला जाता है। जिससे अलाभित समूह के ग्रामीण बच्चे हाईटेक शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। इस परिवर्तन से 25% गरीबों के लिए आरक्षित सीट को विद्यालय प्रबंधन कमाई लिए उपयोग करेगा।
सरकार जहां गरीबों को निःशुल्क एवं आधुनिक शिक्षा देने की बात कह रही है वहीं इस नियम परिवर्तन से अब गरीबों को भोजन वाले खैराती विद्यालय में भेजने के लिए मजबूर कर रही हैं। सरकार का यह नियम परिवर्तन गरीब परिवारों के लिए एक काला कानून के रूप में देखा जा रहा है।
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