IT की पढ़ाई करने वालों के लिए खुशखबरी: कैंपस हायरिंग में 25% की बढ़ोतरी, AI प्रोफाइल की डिमांड 27% बढ़ी
भारत के आईटी सेक्टर में फिर से दिखने लगा बूम
बेंगलुरु-पुणे के साथ टियर-2 शहरों में भी बढ़ी IT भर्तियां
सैलरी में भी 5% दिख रहा है सुधार
इंजीनियरिंग, टेक और AI प्रोफाइल की डिमांड 27% बढ़ी
भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेक्टर में एक बार फिर नौकरियों की रफ्तार तेज़ हो गई है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में टेक्नोलॉजी कंपनियों में कैंपस भर्तियां 25 प्रतिशत बढ़ गई हैं। यह आँकड़ा आईटी इंडस्ट्री में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत दे रहा है।
इंजीनियरिंग और AI प्रोफाइल्स की डिमांड सबसे ज़्यादा
यह तेजी खासकर टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी प्रोफाइल्स में देखने को मिली है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले इस साल इंजीनियरिंग, टेक्निकल और AI प्रोफाइल की मांग में 27 प्रतिशत का इज़ाफा दर्ज किया गया है। इतना ही नहीं, सैलरी (कंपनसेशन) में भी औसत 5 प्रतिशत का सुधार हुआ है, जो फ्रेशर्स के लिए अच्छी खबर है।
टियर-2 शहरों में भी बढ़ा प्लेसमेंट
रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश कैंपस भर्तियां अभी भी बड़े शहरों जैसे बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में हो रही हैं। लेकिन अब यह रुझान टियर-2 शहरों की ओर भी बढ़ रहा है। कोयंबटूर, उदयपुर, नागपुर, विशाखापत्तनम और इंदौर जैसे छोटे शहरों में प्लेसमेंट में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
'ट्रेन और फिर हायर' मॉडल पर कंपनियों का जोर
कंपनियों ने अपनी भर्ती रणनीति में बदलाव किया है। अब वे बड़ी संख्या में भर्ती करने (Hire-and-Training) के बजाय, "ट्रेन और फिर हायर" मॉडल पर काम कर रही हैं। इसका मतलब है कि कंपनियाँ पहले उम्मीदवारों को प्रशिक्षित कर रही हैं और फिर उन्हें काम पर रख रही हैं। इस कदम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि नए कर्मचारियों को केवल खाली बैठने (बेंच पर) के बजाय, सीधे उत्पादकतापूर्वक परियोजनाओं पर लगाया जा सके।
एडेको इंडिया के निदेशक, संकेत चेंगप्पा ने इस बारे में बताया कि आईटी भर्ती की धारणा अब सतर्क रहते हुए भी लक्ष्य-केंद्रित हो गई है। कंपनियाँ अब भर्ती की संख्या (पैमाने) की जगह स्किल की गहराई को ज़्यादा प्राथमिकता दे रही हैं।
स्किल की कमी है बड़ी चुनौती
चेंगप्पा के अनुसार, वर्तमान में कंपनियाँ क्लाउड, डेटा और AI-आधारित क्षमताओं पर ज़्यादा ध्यान दे रही हैं। हालांकि, कैंपस भर्ती में तेजी आई है, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि इंजीनियरिंग की प्रतिभा बाज़ार की ज़रूरतों के लिए पूरी तरह से तैयार हो।
वर्तमान में आईटी इंडस्ट्री AI भूमिकाओं, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा, क्रॉस-डोमेन इंजीनियरों, एमएलओपीएस इंजीनियरों और डेटा इंजीनियरिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 45-50 प्रतिशत की मांग-आपूर्ति के अंतर (डिमांड-सप्लाई गैप) से जूझ रहा है। इस अंतर को भरने के लिए, एडेको जैसी कंपनियाँ शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी निकायों के साथ मिलकर अनुकूलित अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग समाधान प्रदान करने पर काम कर रही हैं। यह दिखाता है कि भविष्य में आईटी में नौकरी पाने के लिए केवल डिग्री नहीं, बल्कि सही स्किल का होना अनिवार्य होगा।
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