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UP के निजी मेडिकल कॉलेजों में बढ़ी MBBS की फीस, मेडिकल की पढ़ाई हो गयी और महंगी

बढ़ती फीस ने एमबीबीएस की पढ़ाई को आम छात्रों के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की बढ़ोतरी चिकित्सा शिक्षा को केवल सक्षम वर्ग तक सीमित कर सकती है।
 

फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी से छात्रों की चिंता बढ़ी

17 निजी मेडिकल कॉलेजों को मिली बढ़ी फीस वसूलने की अनुमति

MBBS फीस में 1.55 लाख से 5.50 लाख रुपये तक की बढ़ोतरी

छात्रावास के सारे और भी शुल्क में हजारों की वृद्धि

उत्तर प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई अब और महंगी हो गई है। चिकित्सा शिक्षा विभाग की फीस नियमन समिति ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए 31 में से 17 निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस बढ़ाने की अनुमति दे दी है। इस बढ़ोतरी के बाद अब छात्रों को सालाना 1.55 लाख से लेकर 5.50 लाख रुपये तक अधिक भुगतान करना होगा।

आपको बता दें कि फीस में इस भारी बढ़ोतरी के साथ-साथ छात्रावास और अन्य विविध शुल्कों में भी इजाफा किया गया है। नए शुल्क निर्धारण के अनुसार, एसी छात्रावास के लिए अब 2,02,125 रुपये सालाना देने होंगे, जो पिछले सत्र में 1,92,500 रुपये था। वहीं, नॉन-एसी छात्रावास का शुल्क 1,73,250 रुपये हो गया है, जो पहले 1,65,000 रुपये था। यह शुल्क मेस खर्च समेत निर्धारित किया गया है।

इसके अलावा, फीस नियमन समिति ने विविध शुल्क के रूप में 94,160 रुपये तय किए हैं, जिसमें विश्वविद्यालय पंजीकरण, विकास शुल्क, पुस्तकालय, जिम, खेलकूद, छात्र संघ, प्रवेश और परीक्षा शुल्क जैसे कई मद शामिल हैं। वहीं, अस्पताल और प्रयोगशाला जैसी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 3 लाख रुपये की सिक्योरिटी राशि भी तय की गई है, जो कोर्स पूरा होने पर लौटाई जाएगी।

फीस नियमन समिति ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कॉलेज शिक्षण शुल्क केवल साल में एक बार ही लेंगे और छात्रों से पांच वर्ष की फीस एक साथ जमा नहीं कराई जाएगी।

प्रदेश के 10 सबसे महंगे मेडिकल कॉलेज

नीचे प्रदेश के उन शीर्ष 10 निजी मेडिकल कॉलेजों की सूची दी गई है, जहां इस सत्र में एमबीबीएस की फीस सबसे अधिक है:

   MBBS Fees

बढ़ती फीस ने एमबीबीएस की पढ़ाई को आम छात्रों के लिए और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की बढ़ोतरी चिकित्सा शिक्षा को केवल सक्षम वर्ग तक सीमित कर सकती है। हालांकि, सरकार द्वारा छात्रवृत्ति योजनाओं और ऋण विकल्पों की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन उन तक पहुंच अभी भी सीमित है।

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