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आजादी के सेनानायक रहे स्वतंत्रता सग्राम सेनानी की जंयती, जंग बहादुर पटवा की मनाई गई जयंती

 इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष माता प्रसाद देववंशी व अखिलेश पटवा मंत्री के नेतृत्व में उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। साथ ही कहा गया कि उनके बताये मार्ग दर्शन में चलने से राष्ट्रहित होगा।
 

सकलडीहा कस्बे में कार्यक्रम आयोजित

स्व. जंग बहादुर पटवा की जंयती मनाकर किया याद

उनके कार्यों पर भी हुयी चर्चा

गांव गांव तिरंगा लेकर आजादी का बजाया था क्रांति बिगुल स्वतंत्रता संग्राम की चर्चित आन्दोलन काकोरी कांड में 6 माह की हुई कठोर कारावास

चंदौली जिले के सकलडीहा कस्बे में एक कार्यक्रम आयोजित करके शहीदों को याद किया गया। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा कुछ इसी उत्साह के साथ रविवार को अखिल भारतीय देववंशी पटवा समाज की ओर से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. जंग बहादुर पटवा की जंयती कस्बे सहित पूरे प्रदेश में क्रांति दिवस के रूप में मनायी गयी।

 इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष माता प्रसाद देववंशी व अखिलेश पटवा मंत्री के नेतृत्व में उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। साथ ही कहा गया कि उनके बताये मार्ग दर्शन में चलने से राष्ट्रहित होगा। यह संकल्प हम सबको दोहराना चाहिए।                       

प्रदेश अध्यक्ष माता प्रसाद देववंशी ने बताया कि महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी स्व. वीर जंग बहादुर पटवा का जन्म उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद के बालामऊ (कछौना) में 20 नवम्बर 1905 में हुआ था। देश की तत्कालीन परिस्थिति जब भारत में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन अपने चरम पर था। भारत के सम्पूर्ण जनमानस के रगों में  देशभक्ति की भावना हिलोरे मार रही थी। बालक जंगबहादुर भी इससे अछूते न रह पाये। किशोरावस्था में फिरंगी बरतानिया शासन के विरोध में सक्रिय हो चुके थे।

वहीं विचारक अखिलेश पटवा संयुक्त मंत्री ने कहा कि वीर जंगबहादुर पटवा स्वतन्त्रता आन्दोलन के बहुचर्चित काकोरी कांड (9 अगस्त 1925) में भी शरीक रहे थे। जिसके चलते ब्रिटिश सरकार ने उनको गिरफ्तार करके हरदोई के जिला कारागार में बन्द कर दिया। जिसके बाद सिटी मजिस्ट्रेट लखनऊ के न्यायालय से 6 माह के कठोर कारावास की सजा हुई। ब्रिटिश सरकार को इस बात का डर था कि उनके और साथी उनको जेल से छुड़ा सकते हैं। इस डर से उनको 22 जुलाई 1930 को हरदोई जिला कारागार से जिला जेल बाराबंकी के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। जेल से छूटने के बाद वे फिर से देश की आजादी के लिए हाथ में तिरंगा लेकर गांव-गांव जाकर लोगों के बीच आजादी का बिगुल फूंकते रहे। 25 मई 1950 को उन्होंने देश की मिट्टी में अपने प्राणों को त्याग दिया। अंत में उनके जंयती पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए देश हित का संकल्प दोहराया।

 कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष संजीव देववंशी, महामंत्री आकाश पटवा, संयोजक ईजीनियर टीएन देववंशी, अरविंद पटवा, विजय बहादूर पटवा, विनोद पटवा, हरिश्चन्द्र पटवा, प्रदीप पटवा, प्रमोद देववंशी, गजराज पटवा, एडवोकेट अंबर पटवा, दिलीप पटवा, सोमनाथ देववंशी, राजकुमार देववंशी, अनुज सुदेश पटवा आदि मौजूद रहे।

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