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शशिकांत महाराज ने सुनायी हनुमानजी की वीरगाथा, सुनकर भाव-विह्वल हुए श्रोता

हनुमान जी का सीता माता को खोजने के लिए की गयी। लंका यात्रा का सम्पूर्ण मनमोहक बखान अपने अमृतवाणी में किया। कहा कि जहां सम्पूर्ण रामायण में श्री राम के सुंदर स्वरुप, उनके जीवन काल, स्वभाव, आदर्शों का गुण गान किया गया है
 

रामशाला में कथा वाचन से मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

शशिकांत जी महाराज ने सुंदरकांड की बतायी महत्ता

सात दिवसीय रामकथा का आयोजन

चंदौली जिले की वैष्णव रामशाला हनुमान मंदिर  रामगढ़ में सात दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया।  शनिवार को कथा वाचक सन्त शशिकांत जी महाराज श्रोताओं को रामचरित मानस पाठ के सुन्दरकांड पर विस्तृत वाचन किया।
                   
शशिकांत जी महाराज ने सुन्दरकाण्ड में हनुमान जी का सीता माता को खोजने के लिए की गयी। लंका यात्रा का सम्पूर्ण मनमोहक बखान अपने अमृतवाणी में किया। कहा कि जहां सम्पूर्ण रामायण में श्री राम के सुंदर स्वरुप, उनके जीवन काल, स्वभाव, आदर्शों का गुण गान किया गया है ,वहीं सुन्दरकांड एक ऐसा भाग है जो सिर्फ हनुमान जी की वीरता का बखान करता है। सुन्दरकांड हनुमान जी पर केंद्रित सबसे पुरानी रचना है। ऐसा माना जाता है कि सुन्दरकाण्ड के पाठ से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । हनुमानजी नें अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी वजह से सुंदरकांड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया जाता है। हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका गए थे । लंका के सुंदर पर्वत में ही अशोक वाटिका थी जहाँ हनुमान जी के भेंट सीता माता से हुई थी। इसी वजह से इस भाग का नाम सुन्दरकाण्ड पड़ा।  
     
इस दौरान मुख्य रूप से डॉ. रमेश चंद्र पाण्डेय, प्रेमनाथ पाण्डेय, शोभनाथ पाण्डेय, राधेश्याम पाण्डेय, जयप्रकाश पाण्डेय, सीताराम यादव, प्रेमलाल श्रीवास्तव, कौशलेंद्र सिंह, डॉ अवधेश सिंह, शिवमूरत शर्मा, नरेंद्र सिंह, टिल्लू सिंह, राजेश कुशवाहा, प्रभुनाथ पाण्डेय, राजकुमार सिंह, राजेश सिंह समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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