सकलडीहा के प्राचीन शिव सरोवर के बीचोबीच जलाया गया रावण, बना रहा दशहरे मेले का आकर्षण केन्द्र
प्राचीन दुर्गा मंदिर के पास दशहरा मेला
शिव सरोवर में खड़ा था 35 फुट का रावण
शाम को किया गया रावण दहन
चंदौली जिले के सकलडीहा कस्बे के प्राचीन दुर्गा मंदिर व प्राचीन शिव सरोवर में खड़ा 35 फुट का रावण मेले में आई जनता के आकर्षण का केंद्र बना रहा। पानी के बीचोबीच रावण जलाने का अनोखा आइडिया पूजा समिति के लोगों का है, जो मेले की बढ़ती भीड़ व कम होती जमीन के कारण लिया गया है।

बताते चलें कि शारदीय नवरात्र में प्राचीन दुर्गा मंदिर पर दुर्गा पूजा सेवा समिति के अध्यक्ष लालचंद सेठ, पवन वर्मा, नंदन सोनी, राजेश जायसवाल, काशी जायसवाल, जगदीश गुप्ता, गुड्डू गुप्ता सहित तमाम कार्यकर्ताओं के सहयोग से विगत 32 वर्षों से दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है। जिसमें नवरात्रि के बाद रावण का दहन किया जाता है।
हर साल शारदीय नवरात्र में प्रतिदिन माता दुर्गा के नौ रूपों का दर्शन भक्त प्राप्त करते हैं। पहले दुर्गा मंदिर के पास के मैदान में रावण दहन व मेले का आयोजन किया जाता था, किंतु दिन प्रतिदिन बढ़ती आबादी ने उस रामलीला मैदान की जमीन पर अपना बसेरा बना लिया तो समिति के सामने रावण को जलाने की बहुत विकट समस्या उत्पन्न होने लगी। रावण यहां के मेले का सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र होता है।

विशाल रावण को जलाने के लिए मंदिर के आसपास स्थान न मिला तो पानी के भीतर रावण के पुतले को लगाने की बात सोची गयी। यहां के मेले में 10 से 12 हजार की भीड़ आया करती है। यहां के दशहरे के मेले का अपना एक अलग ही आनंद और उत्साह है। यहां छोटे से लेकर बड़े तक, बच्चों से लेकर बूढ़े तक, पुरुषों से लेकर महिलाओं तक को अपनी तरफ खींच कर ले आता है। यही नहीं इस मेले के कारण सैकड़ों छोटे-छोटे दुकानदार अपनी रोजी-रोटी भी चलाते हैं।

अंत में समिति ने यह निर्णय लिया कि रावण को प्राचीन शिव सरोवर के बीचों बीच ऐसी व्यवस्था करके खड़ा किया जाए जो चारों तरफ से दिखाई भी दे और किसी भी तरह की घटना दुर्घटना भी नहीं होने पाएगी। डॉ अभय कुमार वर्मा के संचालन द्वारा व प्रशासन की मुस्तैदी में भगवान पुरुषोत्तम राम द्वारा रावण का दहन किया गया।
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