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गांव लौटने लगे हैं बाढ़ राहत शिविरों में टिके लोग, ठीक कर रहे हैं अपना घर मकान

चंदौली जिले के गंगा किनारे रहने वाले गांवों से बाढ़ का पानी उतरने लगा है, जिससे बाढ़ के चलते बेघर हुए लोग अब फिर से अपनी गृहस्थी संवारने में जुट गए हैं। पिछले 10 दिनों से हिंगुतरगढ़ बाढ़ राहत शिविर में रह रहे प्रसहटा गांव के दर्जनों दलित परिवार धीरे धीरे अपने घरों में लौट आये हैं।
 

चंदौली जिले के गंगा किनारे रहने वाले गांवों से बाढ़ का पानी उतरने लगा है, जिससे बाढ़ के चलते बेघर हुए लोग अब फिर से अपनी गृहस्थी संवारने में जुट गए हैं। पिछले 10 दिनों से हिंगुतरगढ़ बाढ़ राहत शिविर में रह रहे प्रसहटा गांव के दर्जनों दलित परिवार धीरे धीरे अपने घरों में लौट आये हैं। इस बीच पुरूष पशुओं के चारा पानी और महिलाएं चूल्हा चौका के जुगाड़ में करने में जुट गईं हैं।

गंगा में आई बाढ़ के चलते जलमग्न हुए गावों के लोग अब तक अपने घर बार छोड़ बाढ़ राहत शिविरों में शरण लिए हुए थे। प्रसहटा गांव स्थित दलित बस्ती में तो रिहायशी घरों में पानी भर गया था। इस वजह से यहा के दर्जनों परिवार कई दिनों से अपने मवेशियों को साथ लेकर हिंगुतरगढ़ गांव स्थित बाढ़ राहत शिविर में डेरा जमाये रहे। अब जैसे ही बाढ़ का पानी उतरा तो विस्थापित हुए परिवार भी अपने अपने घरों में लौटने लगे हैं।

 गुरुवार को हिंगुतरगढ़ स्थित बाढ़ राहत शिविर में शरण लिए प्रसहटा गांव निवासी बाबूनन्दन राम, त्रिलोकी राम, गोविंद राम, धर्मदेव राम, लालजी राम, श्याम नारायण राम, पांचू राम, स्वामी राम, वीरेंद्र राम, रामजी राम, हंसराज राम, संदीप राम आदि अन्य परिवार अपने अपने घरों में लौट आये और फिर से अपनी उजड़ गई गृहस्थी को संवारने में जुट गए हैं।

 वहीं प्रसहटा के ग्राम प्रधान संजय यादव का कहना है कि हिंगुतर राहत शिविर में दो दर्जन से ज्यादा परिवार शरण लिए हुए थे। जिनके लिए भोजन पेयजल और प्रकाश आदि के इंतजाम भी उन्हें खुद के खर्चे पर करना पड़ा। लेकिन राहत की बात यह है कि अब वे लोग अपने अपने घरों में लौट आये हैं। इससे लोगों को अपने घर में रहकर अपना काम काज करने में आसानी होगी और अपने घर मकान को भी ठीक कर सकेंगे।

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