पराली जलाने वालों को सावधान करने के साथ साथ, लाभ के तरीके बता रहा कृषि विभाग
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चंदौली जिले के सकलडीहा क्षेत्र के कृषि विभाग द्वारा किसानों को लगातार जागरूक करने के उद्देश्य से अभियान चलाया जा रहा हैं। इसके तहत कोतवाली क्षेत्र के ग्राम नागेपुर में कृषि विभाग द्वारा किसानों को पराली से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया और कृषि विभाग की तरफ से किसानों को जागरूक करने के लिए पराली से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी गई।
कृषि विभाग सकलडीहा के प्राविधिक सलाहकार डॉ विजय कुमार विमल ने गुरुवार को किसानों को जागरूक करते हुए बताया कि फसलो की कटाई के बाद धान के अवशेष को जलाने से न केवल पर्यावरण खराब नही होता बल्कि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व लाभदायक बेक्टिरिया आदि भी नष्ट हो जाते हैं। फसल अवशेष जलाने से कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी नुकसान करने वाली गैस निकलती है जिससे आंखों में जलन, कैंसर जैसी घातक बीमारी भी होती है और साथ ही साथ मृदा में मौजूद जीवांश कार्बन की मात्रा भी कम होती है। जिसके कारण फसल उत्पादन पर भी असर पड़ता है।
हाल ही में जनपद में कई ब्लॉकों में किसानों द्वारा पराली जलाने को लेकर मुकदमा भी दर्ज किया गया है, इसकी निगरानी सेटेलाइट के माध्यम से की जा रही है। वही पराली को लेकर प्रशासन भी सख्त है। फसल अवशेष के निदान के लिए डीकम्पोज़र का प्रयोग और इंसीटू योजना के तहत कृषि यंत्रो के प्रयोग व अनुदान का भी लाभ लें।
डॉक्टर विजय कुमार विमल ने चेताते हुए कहा कि अगर फसल अवशेष जलाते हैं तो जुर्माना के रूप में दो एकड़ से कम होने की दशा में प्रति घटना 2500 रुपये, दो एकड़ से पांच एकड़ तक होने की दशा में अर्थ दंड 5000 रुपये प्रति घटना और पांच एकड़ से अधिक होने की दशा में 15000 रुपये प्रति घटना अर्थदंड लगाया जा सकता है। कंबाईन हार्वेस्टिंग मशीन का रीपर के बिना प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है। कृषि अपशिष्ट के जलाए जाने की पुनरावृत्ति होने की दशा में संबंधित कृषकों को सरकार द्वारा प्रदत्त की जाने वाली सुविधाओं सब्सिडी आदि से वंचित किए जा सकता है।
इस मौके पर किसान नंदलाल राजभर, सुक्खू राजभर, बाबू लाल यादव ,मुकेश जायसवाल, सागर जयसवाल, सूरेश जायसवाल, इत्यादि किसान यहाँ मौजूद रहे।
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