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बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर में उमड़ी भीड़, जानिए क्यों प्रसिद्ध है स्वयंभू शिव मंदिर ​​​​​​​

चंदौली जनपद के सकलडीहा रेलवे स्टेशन के चतुर्भुजपुर स्थित स्वयंभू बाबा कालेश्वर नाथ के मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की आधी रात के बाद से ही जलाभिषेक के लिए भारी भीड़ लगी हुई है।
 

अंग्रेजों की अकड़ यहां हो गयी थी खत्म

बाबा कालेश्वर नाथ के मंदिर को तोड़ने की हुयी थी कोशिश

स्वयंभू के मंदिर में जलाभिषेक के लिए लगी लंबी कतारें

चंदौली जनपद के सकलडीहा रेलवे स्टेशन के चतुर्भुजपुर स्थित स्वयंभू बाबा कालेश्वर नाथ के मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की आधी रात के बाद से ही जलाभिषेक के लिए भारी भीड़ लगी हुई है। सकुशल जलाभिषेक कराने के लिए उप जिलाधिकारी सकलडीहा अनुपम मिश्रा व सीओ रघुराज के नेतृत्व में भारी मात्रा में पुलिस फोर्स तैनात है। 

 

बाबा कालेश्वर नाथ की मान्यता है कि दर्शन करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताया जा रहा है कि 1918 में मंदिर तोड़कर अंग्रेजों द्वारा रेलवे ट्रैक का कार्य किया जा रहा था। उसके बाद बाबा कालेश्वर नाथ के सामने के तालाब में अंग्रेज अधिकारियों की रेलवे बोगी समा गई थी। उसी के बाद से ही अंग्रेज सरकार में हड़कंप मच गया था। 


आपको बता दें कि चंदौली जनपद के सकलडीहा रेलवे स्टेशन के चतुर्भुजपुर स्थित स्वयंभू बाबा कालेश्वर नाथ के मंदिर में आधी रात के बाद से ही जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। मान्यता है कि बाबा कालेश्वर नाथ के दर्शन करने से जहां मनोकामनाएं पूर्ण होती है, वही अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है।


 बाबा कालेश्वर नाथ की महिमा का एक शिलापट्ट, अंग्रेजों द्वारा 4 अगस्त 1928 को हुई दुर्घटना का सकलडीहा रेलवे स्टेशन पर लगाया गया है। बताया जा रहा है कि बाबा कालेश्वर नाथ के मंदिर को तोड़कर अंग्रेजों द्वारा सीधी रेलवे लाइन 1928 में बिछाई जा रही थी जिसके लिए पुजारी व अन्य लोगों द्वारा अंग्रेजों को मंदिर तोड़ने से मना किया गया था, लेकिन तानाशाह अंग्रेज बाबा कालेश्वर नाथ के महिमा को नहीं समझ पाए और मंदिर तोड़कर रेलवे लाइन बिछा दिया, रेलवे लाइन बिछाने के बाद टेस्टिंग के लिए अंग्रेज अधिकारियों की टीम ट्रेन से गुजर रही थी कि बाबा कालेश्वर नाथ मंदिर के सामने के  तालाब में अंग्रेजी अधिकारियों की बोगी पलट गयी और उसी में समा गई। उसके बाद अंग्रेजी हुकूमत में हड़कंप मच गया और तत्काल रेलवे लाइन को वहां से हटाकर पुनः मंदिर बनाया गया और बगल से रेलवे लाइन को ले जाया गया। 


उस समय की घटना की अंग्रेजों द्वारा सकलडीहा स्टेशन पर एक पट्टिका लगाई गई है इसमें जिक्र है कि रॉबिन विक्टर एलेग्जेंडर जो सहायक अधीक्षक मार्ग एवं निर्माण मुगलसराय में कार्यरत थे, उनकी मृत्यु 4 अगस्त 1928 को दुर्घटना में हुई थी, उनकी स्मृति में यह शिलापट्ट लगाया गया है। तभी से बाबा की मान्यता को और अधिक मान्यता मिली है।


 यह भी बताया जाता है कि बाबा कालेश्वर नाथ की शिवलिंग प्रतिदिन तिल तिल बढ़ता है। उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ बिहार राज्य से भी भारी मात्रा में श्रद्धालु दर्शन पूजन करने के लिए शिवरात्रि पर आते हैं। शिवरात्रि के दिन सायंकाल भव्य शिव बारात निकलती है और रात में बाबा का विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह भी संपन्न होता है।

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