कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के गृहक्षेत्र का हाल बेहाल, बीडीओ का लोगों ने फूंका पुतला

भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन के बैनर तले प्रदर्शन
सकलडीहा में जलजमाव से नाराज़ किसान और व्यापारी उतरे सड़क पर
सकलडीहा के बीडीओ का फूंका पुतला
चंदौली जनपद के सकलडीहा कस्बे में जलजमाव की विकराल समस्या को लेकर किसानों और व्यापारियों का आक्रोश आखिरकार फूट पड़ा। भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन के बैनर तले मंगलवार को प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों ने लगातार तीसरे दिन बीडीओ के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उनका पुतला फूंका और कहा कि यदि समस्या का जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन और तेज होगा।

आंदोलनकारियों का आरोप है कि उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के गृह क्षेत्र सकलडीहा में भी जलनिकासी की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है। हर बार बारिश के बाद कस्बे की मुख्य सड़कों पर जलभराव हो जाता है, जिससे राहगीरों, व्यापारियों, अधिवक्ताओं, शिक्षकों और स्कूली बच्चों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

इस मौके पर यूनियन के मंडल अध्यक्ष पिंटू पाल ने कहा कि प्रशासन ने 29 जून तक समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन वादे के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि अब आंदोलन आर-पार की लड़ाई में तब्दील होगा और जलजमाव की समस्या का समाधान कराए बिना हम पीछे नहीं हटेंगे।
धरना स्थल पर किसानों और व्यापारियों ने बारिश में भीगते हुए “बीडीओ मुर्दाबाद” के नारे लगाए और बीडीओ का प्रतीकात्मक पुतला जलाकर विरोध जताया। आंदोलनकारियों ने जिलाधिकारी को चेताया कि यदि प्रशासन ने समस्या को गंभीरता से नहीं लिया तो धरना अनिश्चितकालीन होगा।
सकलडीहा इंटर कॉलेज से गुजरने वाली मुख्य सड़क पर मामूली बारिश में भी घुटनों तक पानी भर जाता है। व्यापारी नेताओं का कहना है कि व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और स्थानीय लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतें हो रही हैं।
धरने में यूनियन के प्रमुख नेताओं में पिंटू पाल, विजयकांत पासवान, शेषनाथ यादव, टनमन सिंह, विनीत पाल, अभिषेक, आकाश, रणविजय, राम अवतार, अखिलेश सहित दर्जनों किसान व युवा नेता मौजूद रहे। वहीं व्यापार मंडल अध्यक्ष कृष्णर सेठ आनंद, दिलीप गुप्ता और अन्य व्यापारियों ने भी एकजुट होकर प्रदर्शन को समर्थन दिया।
धरने का स्वरूप अब राजनीतिक रंग लेता जा रहा है, और यदि प्रशासन ने समय रहते समाधान नहीं निकाला तो यह आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है।
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