जानिए कैसे कोरोना काल मे कर सकते है स्वयंभू बाबा कालेश्वर नाथ का दर्शन
चंदौली जिले के सकलडीहा स्टेशन के समीप चतुर्भुज पुर गांव में स्वयंभू बाबा कालेश्वर नाथ की भव्य मंदिर है। भारत को अध्यात्म का देश कहा जाता है और यहां कण कण में भगवान विराजते हैं ऐसी मान्यता है। सावन महीने में शिव की पूजा का महत्व है।
मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में आता है उसकी अकाल मौत नहीं होती है। बड़े से बड़ा काल को बाबा कालेश्वर नाथ सच्चे मन से पूजा दर्शन करने से काट देते है। इसका एक प्रत्यक्ष प्रमाण भी अंग्रेजों के शासन काल से देखने को मिला है।
बताया जाता है कि यह मंदिर सकलडीहा के निवासी बाबू बख्त सिंह को बाबा कालेश्वर नाथ ने सपने में बनवाने का आदेश दिया था उसके बाद यहां उस शिवलिंग की खोज कर मंदिर बनाई गई और वह शिव लिंग दिनों दिन बढ़ती जा रही है। यह शिव लिंग धारीदार है जो विश्व मे अनूठा है। अंग्रेजों ने जब सन 1928 में मंदिर के समीप से रेलवे लाइन बना रहे थे तो उसी दौरान मंदिर को क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया, जिसका परिणाम रहा कि लोंगों के मना करने के बाद भी अंग्रेज अधिकारी रोबिन विक्टर एग्जेंडर जबरजस्ती मंदिर की चारदीवारी को तोड़कर रेलवे लाइन बिछाने का निर्देश दे दिया और उसका जब निरीक्षण करने आया तो मंदिर के समीप ही तालाब में उसकी सैलून दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

यह घटना जब उसकी पत्नी को मालूम हुआ तो वह खुद बाबा कालेश्वर नाथ का दर्शन करते हुए अपने पति के याद में सकलडीहा स्टेशन पर एक शिलापट्ट लगवाया है, जो आज भी मौजूद है। उस शिलापट्ट में दुर्घटना का कारण भी बताया गया है।
बाबा कालेश्वर नाथ के पूजन के लिए यूपी के कई जिलों सहित बिहार प्रांत के लोग भी आते हैं। सावन महीने में भारी भीड़ लगती है । जिसके लिए प्रशासनिक व्यवस्था भी तैनात की गई है। पिछले वर्ष कोरोना के कारण मंदिर पुरी तरह से बंद रही। लेकिन इस वर्ष कोविड-19 नियमो के पालन के साथ सावन महीने के सोमवार को दर्शन होगा। यहां प्रतिवर्ष सावन के महीने में कांवरिया बलुआ घाट से गंगा जल लाकर सोमवार को चढ़ाते हैं।
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