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धीना-बैरी मार्ग की बदहाली से ग्रामीणों में आक्रोश, ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों और प्रशासन पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा है कि बार-बार ज्ञापन और शिकायतें देने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
 

धीना-बैरी मार्ग बना जानलेवा रास्ता

2007 में बना था मार्ग

17 साल बाद भी नहीं हुई मरम्मत

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर ग्रामीणों में गहरी नाराजगी

खझरा, बैरीखुर्द, सिरकलपुर सहित 6 गांवों के लोगों का आना-जाना होता है प्रभावित

चंदौली जिले के बरहनी विकास खण्ड के बैरी कलां से धीना रेलवे स्टेशन तक जाने वाली मुख्य सड़क की बदहाल स्थिति ने ग्रामीणों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। बरहनी ब्लॉक क्षेत्र के खझरा, बैरीखुर्द, सिरकलपुर, गोपालपुर, चिलबीली और मोहनभिट्टी जैसे आधा दर्जन गांवों के लोग इस सड़क से नियमित रूप से आवाजाही करते हैं, लेकिन जगह-जगह गड्ढों से भरी इस सड़क ने दुर्घटनाओं का कारण बनना शुरू कर दिया है।

2007 में हुआ था निर्माण

ग्रामीणों ने बताया कि यह सड़क वर्ष 2007 में लोक निर्माण विभाग द्वारा बनवाई गई थी, लेकिन तब से अब तक इसकी मरम्मत की कोई सुध नहीं ली गई। मौजूदा समय में सड़क की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि बारिश में कीचड़ और गर्मी में धूल से राहगीरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

रोजाना गिर रहे हैं दोपहिया वाहन चालक

स्थानीय निवासी राजेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि सड़क की जर्जर हालत के कारण साइकिल और बाइक सवार आए दिन गिरकर चोटिल हो रहे हैं। स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के लिए यह रास्ता जानलेवा साबित हो रहा है।

यह सड़क धीना रेलवे स्टेशन, स्थानीय बाजार और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़ी हुई है, इसलिए यह लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ग्रामीणों का कहना है कि खराब सड़क के कारण उन्हें जरूरी सामान लाने और स्कूल जाने में काफी परेशानियां हो रही हैं।

जनप्रतिनिधियों पर लगाया उदासीनता का आरोप

ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों और प्रशासन पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए कहा है कि बार-बार ज्ञापन और शिकायतें देने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। अब उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही सड़क की मरम्मत नहीं कराई गई, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

मरम्मत नहीं तो आंदोलन होगा – ग्रामीणों की चेतावनी

मांग करने वालों में जयशंकर मिश्रा, बृजेश उपाध्याय, संदीप पाण्डेय, राहुल पाण्डेय, शिवम उपाध्याय, मनीष उपाध्याय, राजकिशोर बिन्द, मुरली बिन्द, देवशरण गोंड और पारस गोंड जैसे ग्रामीणों के नाम प्रमुख हैं, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि मरम्मत नहीं हुआ तो आंदोलन होगा।

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