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सावन के पहले सोमवार को शिवमय हुआ चहनियां, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

रमौली मंदिर में श्रद्धालुओं ने पहले गंगा स्नान किया, फिर भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की। वहीं लक्षु ब्रह्म बाबा मंदिर परिसर में मेले जैसा माहौल दिखा।
 

 श्रावण मास के पहले सोमवार को मंदिरों में पहुंचे शिवभक्त

रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम स्थल पर भी भीड़

सावन में  भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व 

चंदौली जिले के चहनियां इलाके में श्रावण मास के पहले सोमवार को चहनियां क्षेत्र के शिव मंदिरों में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। तड़के से ही श्रद्धालु जल कलश लिए मंदिरों की ओर रवाना हुए और हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। स्थानीय शिव मंदिर, रामौली का राधाकृष्ण मंदिर, लक्षु ब्रह्म बाबा मंदिर, और रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम स्थल पर सुबह से लेकर देर शाम तक भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही।

रमौली मंदिर में श्रद्धालुओं ने पहले गंगा स्नान किया, फिर भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की। वहीं लक्षु ब्रह्म बाबा मंदिर परिसर में मेले जैसा माहौल दिखा। मंदिर परिसर के बाहर माला, खिलौने और फूलों की दर्जनों दुकानें सज गईं। मंदिर में जहां शिव की आराधना हो रही थी, वहीं कई श्रद्धालु मुंडन संस्कार कराते भी नजर आए।

ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रकांत पांडेय ने बताया कि श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले भयंकर विष "हालाहल" को जब शिव ने पी लिया था, तो उनके कंठ में यह विष धारण हो गया, जिससे वे "नीलकंठ" कहलाए। विष की गर्मी को शांत करने के लिए देवताओं ने गंगाजल से अभिषेक किया। तभी से श्रावण मास में जलाभिषेक की परंपरा चली आ रही है।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। बलुआ इंस्पेक्टर डॉ. आशीष मिश्रा सहित अन्य अधिकारी लगातार क्षेत्र का निरीक्षण करते रहे। मंदिरों में भी स्वयंसेवकों और पुलिस बल की तैनाती रही, जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

श्रद्धा, भक्ति और सुरक्षा के इस समन्वय से सावन का पहला सोमवार पूरी तरह शिवमय हो गया।

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